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"अफसर शाही / कैलाश झा ‘किंकर’" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=जत्ते चले चलैने जा / कैलाश झा 'किंकर'
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22:45, 25 जून 2017 के समय का अवतरण

अफसर शाही चलबोॅ नै,
ई घोॅर छिकै परिवार छिकै ।
पत्नी पर नै धौंस जमाबोॅ,
कुत्सित ई व्यवहार छिकै ।।

ऑफिस के सब लोग खफा छौं
इहे अफसर शाही सेॅ,
तंग करै छो कैहने तों
अंग्रेजिया नौकर-शाही सेॅ ।
प्रेम-भाव सेॅ काम करो,
ई अप्पन राज्य बिहार छिकै ।

अदब करै छौं डर के मारे
दहशत मेॅ ऑफिस थर-थर,
आब किरानी चपरासी सब
बनलोॅ छौं गेहुँअन-अधसर ।
घुसखोरी केॅ राह छोडि देॅ,
दौलत ई बेकार छिकै ।

तुम-ताम नै करहो केकरो
आदर केॅ सब छै भूखा,
अप्पन बात मनाबै खातिर
नै व्यवहार करोॅ रूखा ।
शोषण केॅ समटोॅ दुकान अब,
अन्तिम ई उपचार छिकै ।