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13:53, 15 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
पथ में साँझ
पहाड़ियाँ ऊपर
पीछे अँके झरने का पुकारना ।
सीकरों की मेहराब की छाँव में
छूटे हुए कुछ का ठुनकारना ।
एक ही धार में डूबते
दो मनों का टकराकर
दीठ निवारना ।
याद है : चूड़ी की टूक से चाँद पै
तैरती आँख में आँख का ढारना ?