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"उनलाई पीर परेको बेलामा / हरिभक्त कटुवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | + | आँसुले मेरो कसैको पीर पखाल्न सक्दो हो | |
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− | + | मलाई लाग्छ त्यो पीर तिम्रो छातीमा म लिऊँ, | |
− | + | सृष्टिको बीच फुलेको फूल अोइलिन नदिऊँ । | |
− | + | सके त तिमी रोएको बेला म पनि रोइदिन्थेँ | |
− | + | छातीको तिम्रो परेको घाउ आँसुले धोइदिन्थेँ | |
− | + | सृष्टिको बीच फुलेकी तिमी मायालु जुहार, | |
− | + | सम्हार बिना अोइलेछ तिम्रो हँसिलो मुहार । | |
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21:56, 1 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
आँसुले मेरो कसैको पीर पखाल्न सक्दो हो
म रुने थिएँ – आँसुकै एउटा सागर जम्दो हो ।
मलाई लाग्छ त्यो पीर तिम्रो छातीमा म लिऊँ,
सृष्टिको बीच फुलेको फूल अोइलिन नदिऊँ ।
सके त तिमी रोएको बेला म पनि रोइदिन्थेँ
छातीको तिम्रो परेको घाउ आँसुले धोइदिन्थेँ
सृष्टिको बीच फुलेकी तिमी मायालु जुहार,
सम्हार बिना अोइलेछ तिम्रो हँसिलो मुहार ।