भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उनलाई पीर परेको बेलामा / हरिभक्त कटुवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) छो (Sirjanbindu ने झरेको पात झैँ भयो / हरिभक्त कटुवाल पृष्ठ उनलाई पीर परेको बेलामा / हरिभक्त कटुवाल पर स्थ...) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | आँसुले मेरो कसैको पीर पखाल्न सक्दो हो | |
− | + | म रुने थिएँ – आँसुकै एउटा सागर जम्दो हो । | |
− | + | मलाई लाग्छ त्यो पीर तिम्रो छातीमा म लिऊँ, | |
− | + | सृष्टिको बीच फुलेको फूल अोइलिन नदिऊँ । | |
− | + | सके त तिमी रोएको बेला म पनि रोइदिन्थेँ | |
− | + | छातीको तिम्रो परेको घाउ आँसुले धोइदिन्थेँ | |
− | + | सृष्टिको बीच फुलेकी तिमी मायालु जुहार, | |
− | + | सम्हार बिना अोइलेछ तिम्रो हँसिलो मुहार । | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
</poem> | </poem> |
21:56, 1 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
आँसुले मेरो कसैको पीर पखाल्न सक्दो हो
म रुने थिएँ – आँसुकै एउटा सागर जम्दो हो ।
मलाई लाग्छ त्यो पीर तिम्रो छातीमा म लिऊँ,
सृष्टिको बीच फुलेको फूल अोइलिन नदिऊँ ।
सके त तिमी रोएको बेला म पनि रोइदिन्थेँ
छातीको तिम्रो परेको घाउ आँसुले धोइदिन्थेँ
सृष्टिको बीच फुलेकी तिमी मायालु जुहार,
सम्हार बिना अोइलेछ तिम्रो हँसिलो मुहार ।