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"थपकी और माँ / अर्चना कुमारी" के अवतरणों में अंतर

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<poem>गोद में माँ की दुबका हुआ बच्चा
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गोद में माँ की दुबका हुआ बच्चा
 
ज्ञात-अज्ञात भय से
 
ज्ञात-अज्ञात भय से
 
सो जाता है गहरी नींद
 
सो जाता है गहरी नींद

18:29, 26 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

गोद में माँ की दुबका हुआ बच्चा
ज्ञात-अज्ञात भय से
सो जाता है गहरी नींद
मुट्ठियों में भरकर आंचल की कोर

ठीक ऐसे ही महसूस किया
जब दिन का भय
रात संग गहराता गया
कोई याद आता
जैसे थपकियां दे रही हो माँ
वैसे ही आश्वस्ति
स्नेहिल आवाज में झिलमिल।