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"आशाएँ / अर्चना कुमारी" के अवतरणों में अंतर
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ऊर्ध्वगामी गति के तल में | ऊर्ध्वगामी गति के तल में | ||
बचाए रखती हैं जिजीविषा | बचाए रखती हैं जिजीविषा |
18:30, 26 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
कभी हल नहीं होते
कुछ प्रश्न
चुप्पियाँ मातम मनाती हैं
चीखों का
जैसे धुधुआती आग फूँकती चिता
तोड़ती है मरघट का सन्नाटा
चटकती हड्डियों का अगीत लेकर
अतृप्त आत्माएँ.....
भटकती हैं
देह के समकोणों में
लय-भंग मानस की विछिन्नता
संत्रास की आपदा से स्तब्ध
अवसन्न, तिर्यक श्वाँसें
ऊर्ध्वगामी गति के तल में
बचाए रखती हैं जिजीविषा
जीवन की.....
विपरीत परिस्थितियों में
सींचती है जीवटता
मुस्कुराना सीख जाता है मन
भींगी पलकों से..........
आशाएँ लिए.......!!!!