भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पोस्टमार्टम / नीरव पटेल / मालिनी गौतम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नीरव पटेल |अनुवादक=मालिनी गौतम |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार= नीरव पटेल
 
|रचनाकार= नीरव पटेल
 
|अनुवादक=मालिनी गौतम  
 
|अनुवादक=मालिनी गौतम  
|संग्रह=
+
|संग्रह=बहिष्कृत फूलों / नीरव पटेल
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}

16:11, 31 अगस्त 2018 के समय का अवतरण

उसकी नाभि में से नहीं मिली कस्तूरी
उसकी त्वचा को खूब गर्म किया गया
पर एक भी सोने का वरक न मिला
अरे ! सिर्फ चमड़े की बनी हुई थी उसकी चमड़ी !

उसके बड़े से पेट में से
सच्चे मोती का चुग्गा नहीं मिला,
उसके श्रेष्ठ मस्तिष्क में से
पुराण का एक भी पन्ना नहीं मिला ।
उसके सड़े हुए कलेजे में से
नहीं मिला सूर्यवंश का शौर्य ।
उसके ज़हर हो चुके हृदय में से
पुण्य के द्वारा कमाया हुआ अमृत नहीं मिला
उसके अणु जितने छोटे-छोटे टुकड़े किए गए
पर उसकी छठी इन्द्रि नहीं मिली तो नहीं मिली ।

हाँ, उसके विशाल हृदय में से
मिला भेड़िये का सुन्दर हृदय,
उसकी उँगलियों के किनारे से
मिले नाख़ूनों के निशान
उसके स्फ़टिक जैसे चौकठे के नीचे से
मिले त्रिशूल जैसे दाँत,
उसकी आँखो में
मगर के आँसुओं का अंजन था,
उसकी रूढ़िवादी रक्तवाहिनियों में
जम गया था हराकच्च अल्कोहल,

यह एक आर्यपुरुष की ममी का
पोस्टमार्टम था ।

अनुवाद : मालिनी गौतम