"पोस्टमैन / गीत चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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− | + | '''[निर्वासन के दिनों में एक छोटे द्वीप पर नेरूदा के साथी के लिए]''' | |
अपने कमरे में लेटा पोस्टमैन है | अपने कमरे में लेटा पोस्टमैन है | ||
− | + | जो नेरूदा को पहुँचाता था डाक | |
− | जो नेरूदा को | + | हालाँकि उन्हें गए अरसा बीत गया |
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जैसे आवाज़ करती है सुने जाने का इंतज़ार | जैसे आवाज़ करती है सुने जाने का इंतज़ार | ||
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और भटकती है हवा में अनंतकाल तक | और भटकती है हवा में अनंतकाल तक | ||
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जैसे दृश्य से जुड़ा होता है दृष्टि का इंतज़ार | जैसे दृश्य से जुड़ा होता है दृष्टि का इंतज़ार | ||
− | + | घर से निकली बेटी का माँ करती है जैसे | |
− | घर से निकली बेटी का | + | |
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वैसी ही बेचैनी | वैसी ही बेचैनी | ||
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जिसे वह सर्द रात में ओढ़ लेता है | जिसे वह सर्द रात में ओढ़ लेता है | ||
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और तपते दिन में झल लेता है | और तपते दिन में झल लेता है | ||
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क्या सोचा होगा महाकवि ने | क्या सोचा होगा महाकवि ने | ||
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जब पोस्टमैन ने की होगी जि़द | जब पोस्टमैन ने की होगी जि़द | ||
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कि लिख दें वह उसकी प्रेमिका के लिए एक कविता | कि लिख दें वह उसकी प्रेमिका के लिए एक कविता | ||
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जिसे वह कहेगा अपनी | जिसे वह कहेगा अपनी | ||
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कि आपके पास इतनी महिलाओं की चिट्ठी आती है | कि आपके पास इतनी महिलाओं की चिट्ठी आती है | ||
− | + | कि मेरा भी मन करता है कवि बन जाऊँ | |
− | कि मेरा भी मन करता है कवि बन | + | |
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नेरूदा के भीतर जागा होगा पिता | नेरूदा के भीतर जागा होगा पिता | ||
− | + | साँसों से दुलारा होगा उसे | |
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और उंगली थमा ले गए होंगे समंदर तक | और उंगली थमा ले गए होंगे समंदर तक | ||
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उसे बताया होगा कि सपनों को सपनों की तरह ख़ारिज मत करो | उसे बताया होगा कि सपनों को सपनों की तरह ख़ारिज मत करो | ||
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जंगल से मिलो तो हरी पत्ती बनकर | जंगल से मिलो तो हरी पत्ती बनकर | ||
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पानी से बन चीनी का दाना | पानी से बन चीनी का दाना | ||
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लकड़ी से काग़ज़ और मनुष्य से संगीत बनकर | लकड़ी से काग़ज़ और मनुष्य से संगीत बनकर | ||
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और जीवन में प्रवेश कर गए होंगे | और जीवन में प्रवेश कर गए होंगे | ||
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उसके जीवन में एक सूना डाकख़ाना छोड़ | उसके जीवन में एक सूना डाकख़ाना छोड़ | ||
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वह कर रहा है इंतज़ार जीवन के पार | वह कर रहा है इंतज़ार जीवन के पार | ||
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हरियाली मिठास शब्द और सुर की अर्घ्य देता | हरियाली मिठास शब्द और सुर की अर्घ्य देता | ||
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वह क्या है जो इस कमरे में नहीं है | वह क्या है जो इस कमरे में नहीं है | ||
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जिसके लिए ख़ाली है जगह | जिसके लिए ख़ाली है जगह | ||
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इस किताब में नहीं जो छोड़ दिया एक पन्ना सादा | इस किताब में नहीं जो छोड़ दिया एक पन्ना सादा | ||
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इस कैसेट में जिसके एक ही तरफ़ आवाज़ है | इस कैसेट में जिसके एक ही तरफ़ आवाज़ है | ||
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इस शरीर में जिसके मध्य खाई-सी बन गई है | इस शरीर में जिसके मध्य खाई-सी बन गई है | ||
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इस शख़्स में जो थकान के बाद भी भटकता है बिस्तर पर | इस शख़्स में जो थकान के बाद भी भटकता है बिस्तर पर | ||
+ | भीतर कहीं टपकता है जल या आँख का नल | ||
− | + | जिसके पास रोज़ गट्ठरों में पहुँचती हो चिट्ठी | |
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− | जिसके पास रोज़ गट्ठरों में | + | |
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वह क्यों नहीं देता उसकी चिट्ठी का जवाब | वह क्यों नहीं देता उसकी चिट्ठी का जवाब | ||
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वह जागेगा तब तक सो चुकी होगी दुनिया | वह जागेगा तब तक सो चुकी होगी दुनिया | ||
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फिर वह अपनी अनिद्रा में कसमसाएगा | फिर वह अपनी अनिद्रा में कसमसाएगा | ||
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चाय हमेशा तभी क्यों उबलती है | चाय हमेशा तभी क्यों उबलती है | ||
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जब आप किचन में नहीं होते | जब आप किचन में नहीं होते | ||
− | + | पंक्तियाँ तभी क्यों आती हैं | |
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जब आपके पास क़लम नहीं होता | जब आपके पास क़लम नहीं होता | ||
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लोग तभी क्यों लौटकर आते हैं | लोग तभी क्यों लौटकर आते हैं | ||
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जब आपका बदन नहीं होता | जब आपका बदन नहीं होता | ||
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पोस्टमैन | पोस्टमैन | ||
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तुम्हें नसीब हुआ निर्वासन के सबसे गुप्त द्वीप पर | तुम्हें नसीब हुआ निर्वासन के सबसे गुप्त द्वीप पर | ||
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दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत उंगलियों का साथ | दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत उंगलियों का साथ | ||
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तुमने सहेजकर रखी उस चिडि़या की आवाज़ | तुमने सहेजकर रखी उस चिडि़या की आवाज़ | ||
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रिकॉर्डर में डाला लहरों का कलरव | रिकॉर्डर में डाला लहरों का कलरव | ||
− | + | उस धुन को जो कँपाती थी नेरूदा के होंठ | |
− | उस धुन को जो | + | |
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और सबसे अंत में जो तुम्हारी आवाज़ थी | और सबसे अंत में जो तुम्हारी आवाज़ थी | ||
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उसमें तुम्हारी उम्मीद को सुना जाना चाहिए | उसमें तुम्हारी उम्मीद को सुना जाना चाहिए | ||
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महाकवि जब मरे | महाकवि जब मरे | ||
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तो उनके दिल में एक खाई बन गई थी | तो उनके दिल में एक खाई बन गई थी | ||
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लोगों ने कहा | लोगों ने कहा | ||
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यह उनके देश में लोकतंत्र की मृत्यु के कारण बनी | यह उनके देश में लोकतंत्र की मृत्यु के कारण बनी | ||
− | + | उनकी सबसे प्यारी चिडि़या के पंख नुँच जाने के कारण | |
− | उनकी सबसे प्यारी चिडि़या के पंख | + | |
− | + | ||
दरअसल | दरअसल | ||
− | + | एक अन्याय से हुआ था वहाँ विस्फोट | |
− | एक अन्याय से हुआ था | + | |
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और उतना टुकड़ा प्रायश्चित कर रहा है | और उतना टुकड़ा प्रायश्चित कर रहा है | ||
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पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए | पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए | ||
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− | + | जब नेरूदा को चीले से निष्कासित किया गया था और वह भूमध्य सागर के एक द्वीप में रह रहे थे, तब यह पोस्टमैन उनके साथ था। नेरूदा के नाम क्विंटल-क्विंटल डाक आती थी। डाकख़ाना परेशान था। उसने ख़ासकर नेरूदा के लिए इस पोस्टमैन को नियुक्त किया। नेरूदा से अच्छी घनिष्ठता हो जाने के बाद वह भी कविताएँ लिखने लगा। एक दिन नेरूदा उस द्वीप से चले गए। पोस्टमैन उन्हें ख़त लिखता रहा, पर कभी जवाब न आया। काफ़ी समय बाद उसे चिट्ठी मिली जो कि नेरूदा के सचिव ने लिखी थी। महाकवि उस द्वीप पर अपने घर में कुछ चीज़ें भूल आए थे और चाहते थे कि उनका दोस्त पोस्टमैन उन्हें वे चीज़ें भेज दे। पोस्टमैन उनके घर गया। उसे वहाँ एक टेपरिकॉर्डर भी मिला। उसमें उसने वे तमाम आवाजें दर्ज़ कीं, जो नेरूदा को पसंद थीं। चीज़ें भेजने से पहले ही पोस्टमैन ने नेरूदा के बारे में एक कविता लिखी। स्थानीय स्तर पर वह कविता काफ़ी पसंद की गई। उसे माद्रिद से बुलावा आया, उस कविता को पढ़ने के लिए। सभा में वह मंच पर पहुँचकर कविता पढ़ता, इससे पहले भगदड़ मच गई और वह मारा गया। उसकी मौत के कुछ दिन बाद ही नेरूदा उस द्वीप पर लौटे, जहाँ उनके लिए सिर्फ़ दुख और पछतावा बचे थे। | |
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22:20, 28 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
[निर्वासन के दिनों में एक छोटे द्वीप पर नेरूदा के साथी के लिए]
अपने कमरे में लेटा पोस्टमैन है
जो नेरूदा को पहुँचाता था डाक
हालाँकि उन्हें गए अरसा बीत गया
जैसे आवाज़ करती है सुने जाने का इंतज़ार
और भटकती है हवा में अनंतकाल तक
जैसे दृश्य से जुड़ा होता है दृष्टि का इंतज़ार
घर से निकली बेटी का माँ करती है जैसे
वैसी ही बेचैनी
जिसे वह सर्द रात में ओढ़ लेता है
और तपते दिन में झल लेता है
क्या सोचा होगा महाकवि ने
जब पोस्टमैन ने की होगी जि़द
कि लिख दें वह उसकी प्रेमिका के लिए एक कविता
जिसे वह कहेगा अपनी
कि आपके पास इतनी महिलाओं की चिट्ठी आती है
कि मेरा भी मन करता है कवि बन जाऊँ
नेरूदा के भीतर जागा होगा पिता
साँसों से दुलारा होगा उसे
और उंगली थमा ले गए होंगे समंदर तक
उसे बताया होगा कि सपनों को सपनों की तरह ख़ारिज मत करो
जंगल से मिलो तो हरी पत्ती बनकर
पानी से बन चीनी का दाना
लकड़ी से काग़ज़ और मनुष्य से संगीत बनकर
और जीवन में प्रवेश कर गए होंगे
उसके जीवन में एक सूना डाकख़ाना छोड़
वह कर रहा है इंतज़ार जीवन के पार
हरियाली मिठास शब्द और सुर की अर्घ्य देता
वह क्या है जो इस कमरे में नहीं है
जिसके लिए ख़ाली है जगह
इस किताब में नहीं जो छोड़ दिया एक पन्ना सादा
इस कैसेट में जिसके एक ही तरफ़ आवाज़ है
इस शरीर में जिसके मध्य खाई-सी बन गई है
इस शख़्स में जो थकान के बाद भी भटकता है बिस्तर पर
भीतर कहीं टपकता है जल या आँख का नल
जिसके पास रोज़ गट्ठरों में पहुँचती हो चिट्ठी
वह क्यों नहीं देता उसकी चिट्ठी का जवाब
वह जागेगा तब तक सो चुकी होगी दुनिया
फिर वह अपनी अनिद्रा में कसमसाएगा
चाय हमेशा तभी क्यों उबलती है
जब आप किचन में नहीं होते
पंक्तियाँ तभी क्यों आती हैं
जब आपके पास क़लम नहीं होता
लोग तभी क्यों लौटकर आते हैं
जब आपका बदन नहीं होता
पोस्टमैन
तुम्हें नसीब हुआ निर्वासन के सबसे गुप्त द्वीप पर
दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत उंगलियों का साथ
तुमने सहेजकर रखी उस चिडि़या की आवाज़
रिकॉर्डर में डाला लहरों का कलरव
उस धुन को जो कँपाती थी नेरूदा के होंठ
और सबसे अंत में जो तुम्हारी आवाज़ थी
उसमें तुम्हारी उम्मीद को सुना जाना चाहिए
महाकवि जब मरे
तो उनके दिल में एक खाई बन गई थी
लोगों ने कहा
यह उनके देश में लोकतंत्र की मृत्यु के कारण बनी
उनकी सबसे प्यारी चिडि़या के पंख नुँच जाने के कारण
दरअसल
एक अन्याय से हुआ था वहाँ विस्फोट
और उतना टुकड़ा प्रायश्चित कर रहा है
पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए
जब नेरूदा को चीले से निष्कासित किया गया था और वह भूमध्य सागर के एक द्वीप में रह रहे थे, तब यह पोस्टमैन उनके साथ था। नेरूदा के नाम क्विंटल-क्विंटल डाक आती थी। डाकख़ाना परेशान था। उसने ख़ासकर नेरूदा के लिए इस पोस्टमैन को नियुक्त किया। नेरूदा से अच्छी घनिष्ठता हो जाने के बाद वह भी कविताएँ लिखने लगा। एक दिन नेरूदा उस द्वीप से चले गए। पोस्टमैन उन्हें ख़त लिखता रहा, पर कभी जवाब न आया। काफ़ी समय बाद उसे चिट्ठी मिली जो कि नेरूदा के सचिव ने लिखी थी। महाकवि उस द्वीप पर अपने घर में कुछ चीज़ें भूल आए थे और चाहते थे कि उनका दोस्त पोस्टमैन उन्हें वे चीज़ें भेज दे। पोस्टमैन उनके घर गया। उसे वहाँ एक टेपरिकॉर्डर भी मिला। उसमें उसने वे तमाम आवाजें दर्ज़ कीं, जो नेरूदा को पसंद थीं। चीज़ें भेजने से पहले ही पोस्टमैन ने नेरूदा के बारे में एक कविता लिखी। स्थानीय स्तर पर वह कविता काफ़ी पसंद की गई। उसे माद्रिद से बुलावा आया, उस कविता को पढ़ने के लिए। सभा में वह मंच पर पहुँचकर कविता पढ़ता, इससे पहले भगदड़ मच गई और वह मारा गया। उसकी मौत के कुछ दिन बाद ही नेरूदा उस द्वीप पर लौटे, जहाँ उनके लिए सिर्फ़ दुख और पछतावा बचे थे।