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"कृष्ण / सुरेश चंद्रा" के अवतरणों में अंतर
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बहने दो स्वर | बहने दो स्वर | ||
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कृष्ण ! | कृष्ण ! | ||
बचा, रचा-बसा | बचा, रचा-बसा | ||
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− | तन्मय धुन का उत्सव | + | तन्मय धुन का उत्सव. |
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13:26, 20 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
बाँसुरी के रंध्रों से
बहने दो स्वर
रेशा-रेशा मुक्त कर दो
शब्दों के हर झंझावात से
कृष्ण !
बचा, रचा-बसा
रहने दो मुझमें, केवल
तन्मय धुन का उत्सव.