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"शब्द केवल शब्द हैं / सुरेश चंद्रा" के अवतरणों में अंतर
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− | फिर-फिर कह रहा हूँ, संगी | + | फिर-फिर कह रहा हूँ, संगी |
शब्द केवल शब्द हैं, | शब्द केवल शब्द हैं, | ||
− | भावनाओं के वेग से | + | भावनाओं के वेग से |
− | वर्जनाओं के आवेग से | + | वर्जनाओं के आवेग से |
− | संवेदनाओं के तेग से | + | संवेदनाओं के तेग से |
− | सहानुभूतियों के अतिरेक से | + | सहानुभूतियों के अतिरेक से |
− | वासनाओं | + | वासनाओं की टेक से |
− | भ्रमनाओं के तेक से | + | भ्रमनाओं के तेक से |
− | + | क्षणभंगुर छलछलाते | |
− | शब्द केवल शब्द हैं | + | शब्द केवल शब्द हैं. |
− | निराशाओं के आक्रामक | + | निराशाओं के आक्रामक नीरस में |
− | नेह लिख देंगे हम | + | नेह लिख देंगे हम |
− | भ्रामक शैली पर पगला कर | + | भ्रामक शैली पर पगला कर |
− | लिख देंगे हम स्नेह | + | लिख देंगे हम स्नेह |
− | ईच्छाओं की कसमसाहट से | + | ईच्छाओं की कसमसाहट से |
− | टेरते भाषाओं के स्वप्न मेह | + | टेरते भाषाओं के स्वप्न मेह |
− | आत्माओं के झूठ पर | + | आत्माओं के झूठ पर |
− | आकर्षित करते अंततः देह | + | आकर्षित करते अंततः देह |
− | + | सत्य से समुचित विदेह | |
− | शब्द केवल शब्द हैं | + | शब्द केवल शब्द हैं. |
− | रंगमंच पर चिन्हित नाट्य | + | रंगमंच पर चिन्हित नाट्य |
− | किरदारों का | + | किरदारों का आह्वानित साक्ष्य |
− | केवल जोड़-तोड़ वाक़्य | + | केवल जोड़-तोड़ वाक़्य |
− | क्षण भर आराध्य | + | क्षण भर आराध्य |
− | + | अंततः अपराध्य | |
− | शब्द केवल शब्द हैं | + | शब्द केवल शब्द हैं. |
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13:42, 20 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
फिर-फिर कह रहा हूँ, संगी
शब्द केवल शब्द हैं,
भावनाओं के वेग से
वर्जनाओं के आवेग से
संवेदनाओं के तेग से
सहानुभूतियों के अतिरेक से
वासनाओं की टेक से
भ्रमनाओं के तेक से
क्षणभंगुर छलछलाते
शब्द केवल शब्द हैं.
निराशाओं के आक्रामक नीरस में
नेह लिख देंगे हम
भ्रामक शैली पर पगला कर
लिख देंगे हम स्नेह
ईच्छाओं की कसमसाहट से
टेरते भाषाओं के स्वप्न मेह
आत्माओं के झूठ पर
आकर्षित करते अंततः देह
सत्य से समुचित विदेह
शब्द केवल शब्द हैं.
रंगमंच पर चिन्हित नाट्य
किरदारों का आह्वानित साक्ष्य
केवल जोड़-तोड़ वाक़्य
क्षण भर आराध्य
अंततः अपराध्य
शब्द केवल शब्द हैं.