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"एक अकेले का गाना / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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धन्य प्रिया तुम जागीं,
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जीवन नदिया, बैरी केवट, पार न कोई अपना
ना जाने दुख भरी रैन में कब तेरी अंखियां लागीं। <br><br>
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दाना-पानी, ठौर ठिकाना, कहां बसेरा अपना<br>
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प्रेम न सांचा, शपथ न सांचा, सांच न संग हमारा
निस दिन चलना, पल-पल जलना, नींद भई इक छलना <br>
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एक सांस का जीवन सारा, बिरथा का चौबारा ।  
पाखी रूंख न पाएं, अंखियां बरस-बरस की जागी <br><br>
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जीवन के इस पल फिर तुम क्यों जनम-जनम की लागीं
  
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धन्य प्रिया तुम जागीं,  
एक सांस का जीवन सारा, बिरथा का चौबारा ।<br>
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जीवन के इस पल फिर तुम क्यों जनम-जनम की लागीं ।<br><br>
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धन्य प्रिया तुम जागीं,<br>
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ना जाने दुख भरी रैन में कब तेरी अंखियां लागीं ।<br>
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23:15, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

धन्य प्रिया तुम जागीं,
ना जाने दुख भरी रैन में कब तेरी अंखियां लागीं।

जीवन नदिया, बैरी केवट, पार न कोई अपना
घाट पराया, देस बिराना, हाट-बाट सब सपना ।
क्या मन की, क्या तन की, किहनी अपनी अंसुअन पागी ।

दाना-पानी, ठौर ठिकाना, कहां बसेरा अपना
निस दिन चलना, पल-पल जलना, नींद भई इक छलना ।
पाखी रूंख न पाएं, अंखियां बरस-बरस की जागी ।

प्रेम न सांचा, शपथ न सांचा, सांच न संग हमारा
एक सांस का जीवन सारा, बिरथा का चौबारा ।
जीवन के इस पल फिर तुम क्यों जनम-जनम की लागीं ।

धन्य प्रिया तुम जागीं,
ना जाने दुख भरी रैन में कब तेरी अंखियां लागीं ।