भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सादी युसुफ़ / परिचय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
1934 में बसरा में पैदा हुए सादी यूसुफ़ समकालीन अरबी कविता के अग्रणी कवि हैं. कविता और गद्य की उनकी चालीस से ज़्यादा किताबें प्रकाशित हैं. धर्मनिरपेक्षता और क्रांतिकारी कवि माने जाने वाले सादी यूसुफ़ को पश्चिमी दुनिया उनकी कविताओं के अलावा इराक़ में सद्दाम हुसैन की सत्‍ता का सीधा विरोध करने के कारण भी जानती है. विरोध की इसी आवाज़ के कारण उन्‍हें अपने जीवन का अधिकतर हिस्‍सा निर्वासन में बिताना पड़ा है. इन दिनों वह लंदन में रहते हैं.
+
{{KKRachnakaarParichay
 +
|रचनाकार=सादी युसुफ़
 +
}}1934 में बसरा में पैदा हुए सादी यूसुफ़ समकालीन अरबी कविता के अग्रणी कवि हैं. कविता और गद्य की उनकी चालीस से ज़्यादा किताबें प्रकाशित हैं. धर्मनिरपेक्षता और क्रांतिकारी कवि माने जाने वाले सादी यूसुफ़ को पश्चिमी दुनिया उनकी कविताओं के अलावा इराक़ में सद्दाम हुसैन की सत्‍ता का सीधा विरोध करने के कारण भी जानती है. विरोध की इसी आवाज़ के कारण उन्‍हें अपने जीवन का अधिकतर हिस्‍सा निर्वासन में बिताना पड़ा है. इन दिनों वह लंदन में रहते हैं.
  
 
ख़ालिद मुत्‍तावा द्वारा अरबी से किए गए उनकी कविताओं के अंग्रेज़ी अनुवादों का संग्रह 'विदाउट एन अल्‍फाबेट, विदाउट ए फेस' 2002 में प्रकाशित और चर्चित हुआ था.  
 
ख़ालिद मुत्‍तावा द्वारा अरबी से किए गए उनकी कविताओं के अंग्रेज़ी अनुवादों का संग्रह 'विदाउट एन अल्‍फाबेट, विदाउट ए फेस' 2002 में प्रकाशित और चर्चित हुआ था.  
  
हिंदी में '''अशोक पांडे''' ने उनकी कई कविताओं का अनुवाद किया है. उन्‍हें यहां पढ़ा जा सकता है.
+
हिंदी में '''अशोक पांडे''' ने उनकी कई कविताओं का अनुवाद किया है.
 
+
['''सादी यूसुफ़ की कुछ और कविताएं'''http://kabaadkhaana.blogspot.com/search/label/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%80%20%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A5%9E
+
]
+

18:52, 23 जून 2009 के समय का अवतरण

1934 में बसरा में पैदा हुए सादी यूसुफ़ समकालीन अरबी कविता के अग्रणी कवि हैं. कविता और गद्य की उनकी चालीस से ज़्यादा किताबें प्रकाशित हैं. धर्मनिरपेक्षता और क्रांतिकारी कवि माने जाने वाले सादी यूसुफ़ को पश्चिमी दुनिया उनकी कविताओं के अलावा इराक़ में सद्दाम हुसैन की सत्‍ता का सीधा विरोध करने के कारण भी जानती है. विरोध की इसी आवाज़ के कारण उन्‍हें अपने जीवन का अधिकतर हिस्‍सा निर्वासन में बिताना पड़ा है. इन दिनों वह लंदन में रहते हैं.

ख़ालिद मुत्‍तावा द्वारा अरबी से किए गए उनकी कविताओं के अंग्रेज़ी अनुवादों का संग्रह 'विदाउट एन अल्‍फाबेट, विदाउट ए फेस' 2002 में प्रकाशित और चर्चित हुआ था.

हिंदी में अशोक पांडे ने उनकी कई कविताओं का अनुवाद किया है.