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"सादी युसुफ़ / परिचय" के अवतरणों में अंतर
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− | 1934 में बसरा में पैदा हुए सादी यूसुफ़ समकालीन अरबी कविता के अग्रणी कवि हैं. कविता और गद्य की उनकी चालीस से ज़्यादा किताबें प्रकाशित हैं. धर्मनिरपेक्षता और क्रांतिकारी कवि माने जाने वाले सादी यूसुफ़ को पश्चिमी दुनिया उनकी कविताओं के अलावा इराक़ में सद्दाम हुसैन की सत्ता का सीधा विरोध करने के कारण भी जानती है. विरोध की इसी आवाज़ के कारण उन्हें अपने जीवन का अधिकतर हिस्सा निर्वासन में बिताना पड़ा है. इन दिनों वह लंदन में रहते हैं. | + | {{KKRachnakaarParichay |
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+ | }}1934 में बसरा में पैदा हुए सादी यूसुफ़ समकालीन अरबी कविता के अग्रणी कवि हैं. कविता और गद्य की उनकी चालीस से ज़्यादा किताबें प्रकाशित हैं. धर्मनिरपेक्षता और क्रांतिकारी कवि माने जाने वाले सादी यूसुफ़ को पश्चिमी दुनिया उनकी कविताओं के अलावा इराक़ में सद्दाम हुसैन की सत्ता का सीधा विरोध करने के कारण भी जानती है. विरोध की इसी आवाज़ के कारण उन्हें अपने जीवन का अधिकतर हिस्सा निर्वासन में बिताना पड़ा है. इन दिनों वह लंदन में रहते हैं. | ||
ख़ालिद मुत्तावा द्वारा अरबी से किए गए उनकी कविताओं के अंग्रेज़ी अनुवादों का संग्रह 'विदाउट एन अल्फाबेट, विदाउट ए फेस' 2002 में प्रकाशित और चर्चित हुआ था. | ख़ालिद मुत्तावा द्वारा अरबी से किए गए उनकी कविताओं के अंग्रेज़ी अनुवादों का संग्रह 'विदाउट एन अल्फाबेट, विदाउट ए फेस' 2002 में प्रकाशित और चर्चित हुआ था. | ||
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18:52, 23 जून 2009 के समय का अवतरण
1934 में बसरा में पैदा हुए सादी यूसुफ़ समकालीन अरबी कविता के अग्रणी कवि हैं. कविता और गद्य की उनकी चालीस से ज़्यादा किताबें प्रकाशित हैं. धर्मनिरपेक्षता और क्रांतिकारी कवि माने जाने वाले सादी यूसुफ़ को पश्चिमी दुनिया उनकी कविताओं के अलावा इराक़ में सद्दाम हुसैन की सत्ता का सीधा विरोध करने के कारण भी जानती है. विरोध की इसी आवाज़ के कारण उन्हें अपने जीवन का अधिकतर हिस्सा निर्वासन में बिताना पड़ा है. इन दिनों वह लंदन में रहते हैं.ख़ालिद मुत्तावा द्वारा अरबी से किए गए उनकी कविताओं के अंग्रेज़ी अनुवादों का संग्रह 'विदाउट एन अल्फाबेट, विदाउट ए फेस' 2002 में प्रकाशित और चर्चित हुआ था.
हिंदी में अशोक पांडे ने उनकी कई कविताओं का अनुवाद किया है.