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प्रणमाँजलि [ राग : केदार ]
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स्वर्ग भूमि पर सदा, स्थापित हम करेँ !
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माँ सरस्वती सदा.
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प्रेम के ही पंथ पर सब के पग पडेँ <br>
हो प्रतीति विश्व की, ज्ञान दिपती से,
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माँ सरस्वती सदा<br>
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सूर्य ~ सा प्रकाश मन मेँ , फैल कर बढे,<br>
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नित रुचिर, नित नवीन, आलोक से भरेँ,<br>
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हो प्रतीति विश्व की, ज्ञान दिपती से,<br>
 
सर्व ~ मँगल भावना, ह्रदय मेँ बसे !
 
सर्व ~ मँगल भावना, ह्रदय मेँ बसे !

21:58, 9 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

राग : केदार

माँ सरस्वती सदा कृपा हम पर कीजिये,
गुरुजनोँ के प्रति विनीत होँ, आशिष हमको दीजिये !
भूल हरेक भेद ~ भाव, स्नेह से बँध कर रहेँ,
जाति ~ पाति, भेद ~भाव, दूर कर सकेँ,
प्रेम के ही पंथ पर सब के पग पडेँ
माँ सरस्वती सदा
सूर्य ~ सा प्रकाश मन मेँ , फैल कर बढे,
नित रुचिर, नित नवीन, आलोक से भरेँ,
स्वर्ग भूमि पर सदा, स्थापित हम करेँ !
माँ सरस्वती सदा.
विनय , शाँति, सौम्य द्रिष्टि, जीवन मेँ रखेँ,
हो प्रतीति विश्व की, ज्ञान दिपती से,
सर्व ~ मँगल भावना, ह्रदय मेँ बसे !