भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हाथों की व्याख्या / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=बहनें और अन्य कविताएँ / असद ज़ैदी
 
|संग्रह=बहनें और अन्य कविताएँ / असद ज़ैदी
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरे हाथ हैं  
 
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरे हाथ हैं  
 
इन हाथों की  
 
इन हाथों की  
पंक्ति 15: पंक्ति 16:
 
हाथ देखते रह जाते हैं  
 
हाथ देखते रह जाते हैं  
  
मैंने देख कर सारी रफ्तारॅ देख ली है ज़माने की रफ्तार
+
मैंने देख कर सारी रफ़्तार देख ली है ज़माने की रफ़्तार
 
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरी आँखे हैं  
 
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरी आँखे हैं  
इन आंखों की  
+
इन आँखों की  
  
 
ये आँखे सब कुछ देखने को तैयार हैं  
 
ये आँखे सब कुछ देखने को तैयार हैं  
पंक्ति 26: पंक्ति 27:
 
मैं यहाँ से बोलना चाहता हूँ  
 
मैं यहाँ से बोलना चाहता हूँ  
 
पर यह गला बहुत डरता है अपने ही हाथों से !
 
पर यह गला बहुत डरता है अपने ही हाथों से !
 +
</poem>

19:14, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरे हाथ हैं
इन हाथों की
मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़

कुछ चीज़ें चींटियों की तरह चल कर आती हैं
हाथ इंतजार में थक जाते हैं

कुछ चीज़ें तेज़ी से उड़ती हुयी ऊपर से गुज़र जाती हैं
हाथ देखते रह जाते हैं

मैंने देख कर सारी रफ़्तार देख ली है ज़माने की रफ़्तार
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरी आँखे हैं
इन आँखों की

ये आँखे सब कुछ देखने को तैयार हैं
देखिये ये आँखे देख रही हैं - समय का चक्का घूम रहा है
मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़

मैं व्याख्या करता हूँ देखिये ये मेरा गला है
मैं यहाँ से बोलना चाहता हूँ
पर यह गला बहुत डरता है अपने ही हाथों से !