"बाल कविताएँ / भाग 1 / ज्योत्स्ना शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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क्या खाना है क्या पहनाऊँ | क्या खाना है क्या पहनाऊँ | ||
− | नये नये हुड़दंग उसके हैं | + | |
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फिर भी तुमको क्या बतलाऊँ | फिर भी तुमको क्या बतलाऊँ | ||
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− | रोज़ मेरी खिड़की पर करती | + | |
− | फुदक-फुदक कर ताता थैया | + | कभी दूर ना भाए मुझको। |
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तुम मीठे सुर साज़ सजाती | तुम मीठे सुर साज़ सजाती | ||
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मुझे समय से आन जगाती | मुझे समय से आन जगाती | ||
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+ | दाना-पानी दूँगी तुमको | ||
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+ | मान करूँगी सोन चिरैया | ||
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− | मेरी फ्रॉक बड़ी ही सुन्दर | + | '''गुड़िया रानी''' |
− | माँ कहती है कम इतराओ | + | |
− | पापा कहते परी हूँ उनकी | + | |
− | माँ कहती है मुँह धो आओ | + | |
+ | सुनो न प्यारी गुड़िया रानी, | ||
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+ | सुबह उठो तो करो नमस्ते। | ||
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+ | करके मंजन आप नहा लो | ||
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+ | करो नाश्ता हँसते हँसते। | ||
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+ | पुस्तक, कॉपी, बैग उठाओ | ||
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+ | चल दो फिर स्कूल के रस्ते। | ||
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+ | ज़रा सलीका सीख सहेजो | ||
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+ | सभी खिलौने महँगे सस्ते। | ||
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+ | मुझको अपनी दादी कहतीं | ||
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+ | मेरी दादी हँसते-हँसते। | ||
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+ | सब मुझको मीठी कहते हैं | ||
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+ | मेरी फ्रॉक बड़ी ही सुन्दर | ||
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+ | पापा कहते परी हूँ उनकी | ||
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+ | माँ कहती है मुँह धो आओ. | ||
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+ | बच्चे कहते आओ खेलें | ||
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+ | माँ कहती है पढ़ने जाओ. | ||
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+ | आज सखी से हुआ है पंगा | ||
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+ | माँ कहती है भूल भी जाओ. | ||
− | + | मेरी गुडिया सोई न अब तक | |
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− | + | माँ कहती है अब सो जाओ. | |
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− | + | आँख में आँसू देखे बोले | |
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− | + | गले लगा लूँ पास तो आओ. | |
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11:14, 13 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
मेरा भैया
भैया बहुत सताए मुझको
चोटी खींच रुलाए मुझको
गुड़िया मेरी छीने भागे
पीछे खूब भगाए मुझको
मेरी पुस्तक रंग उसके हैं
खेलें कैसे ढंग उसके हैं
क्या खाना है क्या पहनाऊँ
नये नये हुड़दंग उसके हैं
फिर भी तुमको क्या बतलाऊँ
प्यार उसी पर आए मुझको
मेरा प्यारा न्यारा भैया
कभी दूर ना भाए मुझको।
प्यारी गौरैया
ओ मेरी प्यारी गौरैया
रोज़ मेरी खिड़की पर करती
फुदक-फुदक कर ताता थैया
कितनी सुबह-सुबह जग जाती
तुम मीठे सुर साज़ सजाती
बजे अलार्म भले न मेरा
मुझे समय से आन जगाती
तुम ना हो तो फिर पक्का है
कान खिंचें और मारे मैया
छुट्टी के दिन सोने देना
सुख सपनों में खोने देना
देखो बात न बढ़ने पाये
बहुत देर मत होने देना
दाना-पानी दूँगी तुमको
मान करूँगी सोन चिरैया
ओ मेरी प्यारी गौरैया। -0-
गुड़िया रानी
सुनो न प्यारी गुड़िया रानी,
सुबह उठो तो करो नमस्ते।
करके मंजन आप नहा लो
करो नाश्ता हँसते हँसते।
पुस्तक, कॉपी, बैग उठाओ
चल दो फिर स्कूल के रस्ते।
ज़रा सलीका सीख सहेजो
सभी खिलौने महँगे सस्ते।
मुझको अपनी दादी कहतीं
मेरी दादी हँसते-हँसते।
माँ कहती है
सब मुझको मीठी कहते हैं
माँ कहती है कम बतियाओ.
मेरी फ्रॉक बड़ी ही सुन्दर
माँ कहती है कम इतराओ.
पापा कहते परी हूँ उनकी
माँ कहती है मुँह धो आओ.
बच्चे कहते आओ खेलें
माँ कहती है पढ़ने जाओ.
आज सखी से हुआ है पंगा
माँ कहती है भूल भी जाओ.
मेरी गुडिया सोई न अब तक
माँ कहती है अब सो जाओ.
आँख में आँसू देखे बोले
गले लगा लूँ पास तो आओ.