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"सरस्वती बंदना / अवधेश्वर अरुण" के अवतरणों में अंतर

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रोटी जीवन सत्य कि एकरा से तन-परान बचइअ
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जय जय जय माँ बीनापानी
भुक्खे रहला पर भगवानो के न भजन अबइअ
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महासरस्वती जन-कल्यानी
रोटी जीवन सत्य कि एकरा ला सब मारा-मारी
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सुकुल बरन टन ससि-मुख सुन्दर
छन में अप्पन करे पराया रोटी की लाचारी
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सोभा के सुभ सान्त समुन्दर
रोटी ला ब्याकुल आदमी होइअ पत्थर की जांता
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दिव्य बसन, मुख उज्जवल कान्ती
पल में पीस मेटा देइअ इ अपनापन के नाता
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दरसन से पावे मन सान्ती
खाली पेट अनर्थ करइअ भला पर अकरइअ
+
विद्या, कला, ज्ञान के देवी
रोटी के महिमा आदमी गिरगिट सन रंग बदलइअ
+
हंसवाहिनी परम विवेकी
पनसोखा सपना मनमोहक पनसोखा सुन्दरता
+
अक्षमाल पुस्तक मृदु कर में  
पनसोखा आनंद से तु, तोरे तन-मन के जरता
+
सकल राग बीना के सुर में
सतरंगा खूँटी जे पर जग टाँगे दुःख आ सोक
+
सब्द-दीप के जोत भवानी
पथराएल जीबन के देइअ ई नूतन आलोक
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अर्थ-छन्द-रसमय कल्यानी
एकरा सुन्दरता से नीला नभ सतरंग बनइअ
+
जग-जननी जय जय ब्रम्हानी
कविता के सुन्दरता के ई संजीवन बनइअ
+
जय जय जय माँ बीनापानी
रुक्खल सुक्खल रोटी ला ई हए नवनीत प्रसंग
+
अन्धकार तोरा बिना, इ संउसे संसार
रोटी में संगीत भरइअ पनसोखा के रंग
+
द प्रकाश जगदम्बिका, होए जगत-उद्धार
रोटी जीवन के जथार्थ पनसोखा मानस लोक
+
पनसोखा से जुर रोटी बन जाइअ अमर असोक
+
भाओ बिना रोटी के दुनिआ महज रेत के सागर
+
रोटी रोटी के टकराहट रोके में पटु नागर
+
पनसोखा के रस में रोटी डूब सरस हो जाइअ
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रोटी के दरपन में सुख के मोहक चित्र मिलइअ
+
पनसोखा के डोरी से मनीमाला रोटी बनइअ
+
जीवन में सहजे तब मंगल बंदरवार सजइअ
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ए लेल रोटी-पनसोखा दुन्नो हम्मर अभिलासा
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पूरन रोटी पनसोखा से जीवन के परिभासा
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21:01, 30 मार्च 2018 के समय का अवतरण

जय जय जय माँ बीनापानी
महासरस्वती जन-कल्यानी
सुकुल बरन टन ससि-मुख सुन्दर
सोभा के सुभ सान्त समुन्दर
दिव्य बसन, मुख उज्जवल कान्ती
दरसन से पावे मन सान्ती
विद्या, कला, ज्ञान के देवी
हंसवाहिनी परम विवेकी
अक्षमाल पुस्तक मृदु कर में
सकल राग बीना के सुर में
सब्द-दीप के जोत भवानी
अर्थ-छन्द-रसमय कल्यानी
जग-जननी जय जय ब्रम्हानी
जय जय जय माँ बीनापानी
अन्धकार तोरा बिना, इ संउसे संसार
द प्रकाश जगदम्बिका, होए जगत-उद्धार