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"शरद की रातें / आलोक धन्वा" के अवतरणों में अंतर

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शरद की रातें
 
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इतनी हल्की और खुली
 
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जैसे पूरी की पूरी शामें हों सुबह तक
 
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जैसे इन शामों की रातें होंगी
 
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किसी और मौसम में
 
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01:15, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

शरद की रातें
इतनी हल्की और खुली
जैसे पूरी की पूरी शामें हों सुबह तक

जैसे इन शामों की रातें होंगी
किसी और मौसम में