भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"देवता / बृजेन्द्र कुमार नेगी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGadhwaliRachna}} <poem> दु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=बृजेन्द्र कुमार नेगी |
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
|संग्रह= | |संग्रह= |
09:28, 24 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
दुःख, दर्द, रोग, बिमरी,
गरीबी कि पीड़ा म तिरयाँ
ब्वे-बाब
म्वन कु बाद पूज्य ह्वेगीं,
आण वलि पीढ़ी खुण
देवता बणगीं,
बच्यां माँ जौं थै
कभि कुछ नि द्या,
म्वना का बाद दीणा छीं
दुध-भत्ति, पूड़ी-पक्वड़ी,
छप्पन पक्वान,
मगणा छीं वूंमै अब
धन, दौलत, सुख, शांति
साल-कु-साल
जब अंदी 'सराद'।