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तन्हाइयाँ तन्हाइयाँ तन्हाइयाँ हैं
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नूह् की कश्ती की तरह ज़िन्दगी मिली
यह चौदहवें अक्षर से सब रुस्वाइयाँ हैं
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जब से सनम मुझे तुम्हारी बन्दगी मिली
  
कैसा बिछाया जाल तू ने अय मनु कि
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राम ने जो खटखटाए हर नगर के द्वार
हम ही नहीं पापी यहाँ परछाइयाँ हैं
+
थरथराती मौत से हैरानगी मिली
  
हम छोड़ ना सकते ना घुल-मिल भी सके हैं
+
घूमता कर्फ़्यू मिला है भद्र शहर में
दोनों तरफ़ महसूस उन्हें कठिनाइयाँ हैं
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हालात में भद्दी पूरी शर्मिन्दगी मिली
  
कोई हमारी आह को सुन क्या सकेगा
+
संसद में घुसा शेर भूखा, निकला बोल के
बजतीं यहाँ चारों तरफ़ शहनाइयाँ हैं
+
नेता के रूप में ये साली गन्दगी मिली
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मानिन्द मूसा की तुम्हें चलाता रहूँगा
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देखने की दूर तलक दीवानगी मिली
  
 
'''मूल गुजराती से अनुवाद : स्वयं साहिल परमार'''
 
'''मूल गुजराती से अनुवाद : स्वयं साहिल परमार'''
 
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15:29, 21 मई 2018 के समय का अवतरण

नूह् की कश्ती की तरह ज़िन्दगी मिली
जब से सनम मुझे तुम्हारी बन्दगी मिली

राम ने जो खटखटाए हर नगर के द्वार
थरथराती मौत से हैरानगी मिली

घूमता कर्फ़्यू मिला है भद्र शहर में
हालात में भद्दी पूरी शर्मिन्दगी मिली

संसद में घुसा शेर भूखा, निकला बोल के
नेता के रूप में ये साली गन्दगी मिली

मानिन्द मूसा की तुम्हें चलाता रहूँगा
देखने की दूर तलक दीवानगी मिली

मूल गुजराती से अनुवाद : स्वयं साहिल परमार