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"कुछ आकाश (कविता) / प्रेमशंकर शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
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बचा है | बचा है | ||
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कुछ आकाश | कुछ आकाश | ||
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गा देता है जो जितना | गा देता है जो जितना | ||
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हो जाता है | हो जाता है | ||
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उतना वह पूरा | उतना वह पूरा | ||
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अपनी चहचह से चिड़ियाँ | अपनी चहचह से चिड़ियाँ | ||
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बना रहीं नित नया आकाश | बना रहीं नित नया आकाश | ||
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गाती-गुनगुनाती मेहनतकश स्त्रियाँ | गाती-गुनगुनाती मेहनतकश स्त्रियाँ | ||
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आकाश के रचाव को | आकाश के रचाव को | ||
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बढ़ा रहीं आगे | बढ़ा रहीं आगे | ||
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अधूरा है आकाश | अधूरा है आकाश | ||
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कह देता है जो जितना | कह देता है जो जितना | ||
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हो जाता है उतना वह पूरा | हो जाता है उतना वह पूरा | ||
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जीवन की आवाज़ और रंगत से ही | जीवन की आवाज़ और रंगत से ही | ||
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बनता-तनता है इसका वितान | बनता-तनता है इसका वितान | ||
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जीवन का पानी है | जीवन का पानी है | ||
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जिन आँखों में | जिन आँखों में | ||
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बनाने के अध्याय में | बनाने के अध्याय में | ||
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शामिल है नाम | शामिल है नाम | ||
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उनका ही। | उनका ही। | ||
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19:29, 27 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
पूरा करने के लिए
बचा है
कुछ आकाश
गा देता है जो जितना
हो जाता है
उतना वह पूरा
अपनी चहचह से चिड़ियाँ
बना रहीं नित नया आकाश
गाती-गुनगुनाती मेहनतकश स्त्रियाँ
आकाश के रचाव को
बढ़ा रहीं आगे
अधूरा है आकाश
कह देता है जो जितना
हो जाता है उतना वह पूरा
जीवन की आवाज़ और रंगत से ही
बनता-तनता है इसका वितान
जीवन का पानी है
जिन आँखों में
बनाने के अध्याय में
शामिल है नाम
उनका ही।