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|रचनाकार=मनीषा पांडेय|संग्रह=
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घर के गर्दो-गुबार की तरह
 
सूरज उगने से पहले
 
बुहारकर निकाल दूँ
 
सारे बीते दिन
 गुजरी गुज़री हुई यादें 
इतनी दूर
 
कि हवा के साथ उड़कर वापस न आ सके
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