भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"05 भवानी मात ज्वाला री, समरू देबी नाम तेरा / राजेराम भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=राजेराम भारद्वाज
 
|रचनाकार=राजेराम भारद्वाज
 
|अनुवादक=
 
|अनुवादक=
|संग्रह=
+
|संग्रह=सन्दीप कौशिक
 
}}
 
}}
 
{{KKCatHaryanaviRachna}}
 
{{KKCatHaryanaviRachna}}

12:30, 8 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण

                 (5)

सांग :- सत्यवान-सावित्री (अनुक्रमांक- 2)

भवानी मात ज्वाला री, समरू देबी नाम तेरा,
मंदिर मैं आज्या, माई दर्शन दिखा ।। टेक ।।

तू जगदम्बे शक्ति, बणी तु लक्ष्मी-ब्रह्मवती, पार्वती बण शिवजी मोहे,
माया मोहनी री, बणी चंदा की रोहणी, तू होणी बड़े-बड़े खोए,
टोहे मंदिर शिवाला री, पर्वत पै धाम तेरा,
मनै एक बर पाज्या, माई दर्शन दिखा ।।

बसी ब्रह्मा कै दिल पै री, रची थी सृष्टि जल पै री, कमल पै होई प्रकट आकै,
तेरे भक्ता मै भीड़ पड़ी, तू चंडी बणकै शेर चढ़ी, लड़ी थी दुष्टा तै जाकै,
तू ठा के कर मै भाला री, जब देख्या संग्राम तेरा,
असुरो का दल भाज्या, माई दर्शन दिखा ।।

तू दुर्गे सरस्वती, तू सै लक्ष्मी नार सती, पति भगवान टोह लिए री,
गिरजा रुद्राणी, गणेश की माता भवानी, वाणी शुद्ध बोलिए री,
खोलीए घट का ताला री, मीठा बोल मुलाम तेरा,
एक बर तू गाज्या, माई दर्शन दिखा ।।

लखमीचंद तेरा नाम रटै, तनै तै मांगेराम रटै, तमाम रटै दुनियादारी,
दूर कर दिल का अंधेरा, सभा मै मान राख मेरा, तेरा रहैगा पूजारी,
गाम लुहारी आला री, सेवक राजेराम तेरा,
सर पै हाथ टीकाज्या, माई दर्शन दिखा ।।