"कल्कि के नाम फ़ैक्स/ कुँवर दिनेश" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुँवर दिनेश |अनुवादक= |संग्रह= कु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
<poem> | <poem> | ||
+ | कब आओगे, कल्कि? | ||
+ | परित्राणाय साधूनाम् | ||
+ | विनाशाय च दुष्कृताम् | ||
+ | पुन: धर्मसंस्थापनार्थाय | ||
+ | प्रण अपना कब निभाओगे, कल्कि? | ||
+ | कब आओगे? | ||
+ | हम प्रतीक्षकों को | ||
+ | कोई ढाढ़स तो दे दो, | ||
+ | अपने अवतरण की | ||
+ | आकाशवाणी कर दो, | ||
+ | कोई दृष्टान्त तो दे दो; | ||
+ | प्रभाव अपना कब दिखाओगे, कल्कि? | ||
+ | कब आओगे? | ||
+ | |||
+ | हाँ आओगे जब | ||
+ | तो इतना ध्यान रहे- | ||
+ | तुम्हारे पूर्वावतार काल के शस्त्रास्त्र सब- | ||
+ | कोई चाप, कोई गदा, कोई वज्र, | ||
+ | कोई खड्ग, कोई त्रिशूल, कोई चक्र, | ||
+ | नहीं चलेंगे अब; | ||
+ | |||
+ | न्यूक्लियर अस्त्रों की तैयारी कर लेना, | ||
+ | अत्याधुनिक बम-वर्षक विमान जुटा लेना, | ||
+ | ए.के. सैंतालीस, छप्पन आदि से लैस होकर आना, | ||
+ | किसी बंकर में अपना ठिकाना बनाना। | ||
+ | |||
+ | देखो कल्कि, | ||
+ | मैं डरा नहीं रहा तुमको, | ||
+ | कहीं तुम अपना प्रोग्राम बदल न लेना! | ||
+ | मैं तो अवगत करा रहा हूँ तुमको- | ||
+ | आज की आसुरी शक्तियाँ बदल गई हैं, | ||
+ | ये साइबर असुर कुछ जटिल-प्रकृति हैं, | ||
+ | ये भावनाशून्य, विध्वंसक-प्रवृत्तिहैं । | ||
+ | |||
+ | तुम त्रिदेव से मिलकर | ||
+ | कोई विशेष युक्ति कर | ||
+ | उतरना धरती पर | ||
+ | और उतरते समय भी रहे ध्यान में- | ||
+ | कहीं माईन्ज़ न बिछीं हों मार्ग में, | ||
+ | तुम्हारे उन्मुख लगी न हों मिसाईलें, | ||
+ | रहना सचेत, सतर्क, सैन्य-सहित, | ||
+ | हम तुम्हारे सुहृद्, सहृदय प्रतीक्षक- | ||
+ | तुम्हारे शुभागमन के हेतु | ||
+ | बनाते हैं क्षेम-कामनाओं का सेतु। | ||
</poem> | </poem> |
15:48, 29 मई 2018 के समय का अवतरण
कब आओगे, कल्कि?
परित्राणाय साधूनाम्
विनाशाय च दुष्कृताम्
पुन: धर्मसंस्थापनार्थाय
प्रण अपना कब निभाओगे, कल्कि?
कब आओगे?
हम प्रतीक्षकों को
कोई ढाढ़स तो दे दो,
अपने अवतरण की
आकाशवाणी कर दो,
कोई दृष्टान्त तो दे दो;
प्रभाव अपना कब दिखाओगे, कल्कि?
कब आओगे?
हाँ आओगे जब
तो इतना ध्यान रहे-
तुम्हारे पूर्वावतार काल के शस्त्रास्त्र सब-
कोई चाप, कोई गदा, कोई वज्र,
कोई खड्ग, कोई त्रिशूल, कोई चक्र,
नहीं चलेंगे अब;
न्यूक्लियर अस्त्रों की तैयारी कर लेना,
अत्याधुनिक बम-वर्षक विमान जुटा लेना,
ए.के. सैंतालीस, छप्पन आदि से लैस होकर आना,
किसी बंकर में अपना ठिकाना बनाना।
देखो कल्कि,
मैं डरा नहीं रहा तुमको,
कहीं तुम अपना प्रोग्राम बदल न लेना!
मैं तो अवगत करा रहा हूँ तुमको-
आज की आसुरी शक्तियाँ बदल गई हैं,
ये साइबर असुर कुछ जटिल-प्रकृति हैं,
ये भावनाशून्य, विध्वंसक-प्रवृत्तिहैं ।
तुम त्रिदेव से मिलकर
कोई विशेष युक्ति कर
उतरना धरती पर
और उतरते समय भी रहे ध्यान में-
कहीं माईन्ज़ न बिछीं हों मार्ग में,
तुम्हारे उन्मुख लगी न हों मिसाईलें,
रहना सचेत, सतर्क, सैन्य-सहित,
हम तुम्हारे सुहृद्, सहृदय प्रतीक्षक-
तुम्हारे शुभागमन के हेतु
बनाते हैं क्षेम-कामनाओं का सेतु।