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− | + | 23 | |
− | + | प्रेम के द्वारे | |
− | + | उच्व स्वरों की गूँज | |
+ | पिया पुकारे | ||
+ | 24 | ||
+ | हमेशा साथ | ||
+ | फिर भी न समझे | ||
+ | मन की बात | ||
+ | 25 | ||
+ | आँचल भीगा | ||
+ | बरखा से मगर | ||
+ | मन तो सूखा | ||
+ | 26 | ||
+ | मौन मुखर | ||
+ | नैन ही समझें | ||
+ | भाषा नैनों की | ||
+ | 27 | ||
+ | मन ही लिखे | ||
+ | सतरंगी स्याही से | ||
+ | मन ही बाँचे | ||
+ | 28 | ||
+ | एक डोरी हो | ||
+ | सतरंगी सपने | ||
+ | नित फैलाऊँ | ||
+ | 29 | ||
+ | प्रेम -संसार | ||
+ | विरह अंधियारे | ||
+ | प्रिया पुकारे ! | ||
+ | 30 | ||
+ | तरु शिखर | ||
+ | नभ प्रिय को चूमें | ||
+ | उन्मत्त खड़े | ||
+ | 31 | ||
+ | आनंद गान | ||
+ | आरोह में खो जाऊँ | ||
+ | प्रिय जो पाऊँ | ||
+ | 32 | ||
+ | हों शंखनाद | ||
+ | नित विजय गान | ||
+ | संघर्ष करो | ||
+ | 33 | ||
+ | यौवन जगा | ||
+ | रति-काम उद्धत | ||
+ | ऋतु पावस | ||
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10:31, 5 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
23
प्रेम के द्वारे
उच्व स्वरों की गूँज
पिया पुकारे
24
हमेशा साथ
फिर भी न समझे
मन की बात
25
आँचल भीगा
बरखा से मगर
मन तो सूखा
26
मौन मुखर
नैन ही समझें
भाषा नैनों की
27
मन ही लिखे
सतरंगी स्याही से
मन ही बाँचे
28
एक डोरी हो
सतरंगी सपने
नित फैलाऊँ
29
प्रेम -संसार
विरह अंधियारे
प्रिया पुकारे !
30
तरु शिखर
नभ प्रिय को चूमें
उन्मत्त खड़े
31
आनंद गान
आरोह में खो जाऊँ
प्रिय जो पाऊँ
32
हों शंखनाद
नित विजय गान
संघर्ष करो
33
यौवन जगा
रति-काम उद्धत
ऋतु पावस