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"कौन नहीं जानता / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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कौन नहीं जानता
 
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अयोध्या में सभी कुछ
 
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काल्पनिक है
 
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वह मस्जिद जिसे
 
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ढहाया गया
 
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वह काल्पनिक थी
 
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वे तस्वीरें
 
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किसी मशहूर फ़िल्म
 
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के लिए थीं
 
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वह एक दोपहर की झपकी थी
 
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एक अस्त-व्यस्त सा
 
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स्वप्न था
 
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या किसी का ख़र्राटा
 
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जिसकी आवाज़ के पर्दे में मेहराब के चटकने की
 
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ख़फ़ीफ़ सी आवाज़ धुल गयी
 
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कुछ गुंबदें धीमी गति से गिरती चली गईं
 
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काले-सफ़ेद धुंधलके में।
 
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19:21, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कौन नहीं जानता
अयोध्या में सभी कुछ
काल्पनिक है

वह मस्जिद जिसे
ढहाया गया
वह काल्पनिक थी

वे तस्वीरें
किसी मशहूर फ़िल्म
के लिए थीं

वह एक दोपहर की झपकी थी
एक अस्त-व्यस्त सा
स्वप्न था
या किसी का ख़र्राटा

जिसकी आवाज़ के पर्दे में मेहराब के चटकने की
ख़फ़ीफ़ सी आवाज़ धुल गयी
कुछ गुंबदें धीमी गति से गिरती चली गईं
काले-सफ़ेद धुंधलके में।