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"कर्मयोगिनी मौन / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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ओ मेरे आँगन की
 
ओ मेरे आँगन की
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प्रेम या कर्म  
 
प्रेम या कर्म  
 
क्या तुम्हारा संदेश
 
क्या तुम्हारा संदेश
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मुझे बताना  !
 
कर्मयोगी या फिर
 
कर्मयोगी या फिर
 
प्रेमी जागते
 
प्रेमी जागते
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प्रेयसी प्रिय की या
 
प्रेयसी प्रिय की या
 
'''कर्मयोगिनी मौन ।'''
 
'''कर्मयोगिनी मौन ।'''
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23:25, 12 जुलाई 2018 के समय का अवतरण


रजनीगंधा
ओ मेरे आँगन की
सुनो तो तुम !
सिखाओगी क्या मुझे
अंधकार में
मुस्काने का कौशल ?
और हाँ ,प्रिया!
श्वेत पुष्पों से तुम
काले पृष्ठों पर
रात की पुस्तक के
किया करती
सशक्त हस्ताक्षर
प्रेम या कर्म
क्या तुम्हारा संदेश
मुझे बताना  !
कर्मयोगी या फिर
प्रेमी जागते
रातों को अकेले ही
हो तुम कौन
प्रेयसी प्रिय की या
कर्मयोगिनी मौन ।