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"हवा / राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | सुख-गंध भरी | + | ओ प्रिय |
− | मदमत्ता हवा! | + | सुख-गंध भरी |
− | मेरी ओर बहो _ | + | मदमत्ता हवा! |
− | हलके-हलके! | + | मेरी ओर बहो _ |
− | बरसाओ | + | हलके-हलके! |
− | मेरे | + | बरसाओ |
− | तन पर, मन पर | + | मेरे |
− | शीतल छींटें जल के! | + | तन पर, मन पर |
− | ओ प्यारी | + | शीतल छींटें जल के! |
− | लहर-लहर लहराती | + | ओ प्यारी |
− | उन्मत्ता हवा! | + | लहर-लहर लहराती |
− | नि:संकोच करो | + | उन्मत्ता हवा! |
− | बढ़ कर उष्ण स्पर्श | + | नि:संकोच करो |
− | मेरे तन का! | + | बढ़ कर उष्ण स्पर्श |
− | ओ, सर-सर स्वर भरती | + | मेरे तन का! |
− | मधुरभाषिणी | + | ओ, सर-सर स्वर भरती |
− | मुखर हवा! | + | मधुरभाषिणी |
− | चुपके-चुपके | + | मुखर हवा! |
− | मेरे कानों में | + | चुपके-चुपके |
− | अब तक अनबोला | + | मेरे कानों में |
− | कोई राज़ कहो | + | अब तक अनबोला |
− | मन का! | + | कोई राज़ कहो |
− | आओ! | + | मन का! |
− | मुझ पर छाओ! | + | आओ! |
− | खोल लाज-बंध | + | मुझ पर छाओ! |
− | आज | + | खोल लाज-बंध |
− | आवेष्टित हो जाओ, | + | आज |
− | आजीवन | + | आवेष्टित हो जाओ, |
+ | आजीवन | ||
अनुबन्धित हो जाओ! | अनुबन्धित हो जाओ! | ||
+ | </poem> |
15:17, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
ओ प्रिय
सुख-गंध भरी
मदमत्ता हवा!
मेरी ओर बहो _
हलके-हलके!
बरसाओ
मेरे
तन पर, मन पर
शीतल छींटें जल के!
ओ प्यारी
लहर-लहर लहराती
उन्मत्ता हवा!
नि:संकोच करो
बढ़ कर उष्ण स्पर्श
मेरे तन का!
ओ, सर-सर स्वर भरती
मधुरभाषिणी
मुखर हवा!
चुपके-चुपके
मेरे कानों में
अब तक अनबोला
कोई राज़ कहो
मन का!
आओ!
मुझ पर छाओ!
खोल लाज-बंध
आज
आवेष्टित हो जाओ,
आजीवन
अनुबन्धित हो जाओ!