भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"होरी खेलूँगी तोते नाय / फाग" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|भाषा=भदावरी
 
|भाषा=भदावरी
 
}}
 
}}
होरी खेलूँगी श्याम तोते नाय हारूँ <br>
+
{{KKAnthologyHoli}}
उड़त गुलाल लाल भए बादर, भर गडुआ रंग को डारूँ<br>
+
[[Category: लोकगीत]]
होरी में तोय गोरी बनाऊँ लाला, पाग झगा तरी फारूँ<br>
+
<poem>
औचक छतियन हाथ चलाए, तोरे हाथ बाँधि गुलाल मारूँ।<br>
+
होरी खेलूँगी श्याम तोते नाय हारूँ
 
+
उड़त गुलाल लाल भए बादर, भर गडुआ रंग को डारूँ
 
+
होरी में तोय गोरी बनाऊँ लाला, पाग झगा तरी फारूँ
-----------------------------------------------
+
औचक छतियन हाथ चलाए, तोरे हाथ बाँधि गुलाल मारूँ।
संकलनकर्ता : जगदेव सिंह भदौरिया
+
<poem>

19:25, 15 मार्च 2011 के समय का अवतरण

होरी खेलूँगी श्याम तोते नाय हारूँ
उड़त गुलाल लाल भए बादर, भर गडुआ रंग को डारूँ
होरी में तोय गोरी बनाऊँ लाला, पाग झगा तरी फारूँ
औचक छतियन हाथ चलाए, तोरे हाथ बाँधि गुलाल मारूँ।