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"ममतामयी ! / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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पलकें चूमूँ
 
पलकें चूमूँ
 
तुम्हें गले लगाऊँ
 
तुम्हें गले लगाऊँ
 
जीवन पाऊँ।
 
जीवन पाऊँ।
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क्षितिज पार
 
क्षितिज पार
 
केवल इंतज़ार
 
केवल इंतज़ार
 
धरा- गगन।
 
धरा- गगन।
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महामिलन
 
महामिलन
 
सृष्टि झूमे खुशी से
 
सृष्टि झूमे खुशी से
 
मादक मन।
 
मादक मन।
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ममतामयी !
 
ममतामयी !
 
तुझसे रस पाया
 
तुझसे रस पाया
 
जीना सिखाया।
 
जीना सिखाया।
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तुम न होते
 
तुम न होते
 
रस मर ही जाता
 
रस मर ही जाता
 
कौन लुभाता।
 
कौन लुभाता।
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रस छलके
 
रस छलके
 
तेरे नयनों से जो
 
तेरे नयनों से जो
 
मुझे सींचता।
 
मुझे सींचता।
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वाणी का जादू
 
वाणी का जादू
 
बनके आलिंगन
 
बनके आलिंगन
 
मुझे है बाँधे।
 
मुझे है बाँधे।
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अधर -प्यास
 
अधर -प्यास
 
बनके मधुमास
 
बनके मधुमास
 
मुझे टेरती।
 
मुझे टेरती।
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हो जाऊँ लय
 
हो जाऊँ लय
 
तुम में  एक दिन
 
तुम में  एक दिन
 
वही है मुक्ति।
 
वही है मुक्ति।
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कहीं न जाऊँ
 
कहीं न जाऊँ
 
छुप तेरे सीने में
 
छुप तेरे सीने में
 
स्वर्ग पा जाऊँ।
 
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23:13, 5 मई 2019 के समय का अवतरण

76
पलकें चूमूँ
तुम्हें गले लगाऊँ
जीवन पाऊँ।
77
क्षितिज पार
केवल इंतज़ार
धरा- गगन।
78
महामिलन
सृष्टि झूमे खुशी से
मादक मन।
79
ममतामयी !
तुझसे रस पाया
जीना सिखाया।
80
तुम न होते
रस मर ही जाता
कौन लुभाता।
81
रस छलके
तेरे नयनों से जो
मुझे सींचता।
82
वाणी का जादू
बनके आलिंगन
मुझे है बाँधे।
83
अधर -प्यास
बनके मधुमास
मुझे टेरती।
84
हो जाऊँ लय
तुम में एक दिन
वही है मुक्ति।
85
कहीं न जाऊँ
छुप तेरे सीने में
स्वर्ग पा जाऊँ।
-०-