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"प्राण सींचती / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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जग सुन्दर
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सुन्दर मन -ताल
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आती नहीं आहट
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बाँचे अनवरत
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तीर की पीर।
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नहाने आते
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जब चाँद -सितारे
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तट हर्षाते ।
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उजड़े पनघट
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गलियाँ मौन।
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प्राण सींचती
 
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सामगान -सी वाणी
 
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सद्यस्नाता- सी।
 
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नश्वर काया
 
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तुम्हारी मोहमाया
 
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बाँधे है मुझे।
 
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आँसू तुम्हारे
 
आँसू तुम्हारे
 
भिगोएँ मेरा सीना
 
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मैं बड़भागी।
 
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रातों में जागूँ
 
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तुम्हारे लिए ही मैं
 
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दुआएँ माँगूँ ।
 
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अंक में भरो
 
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उलझी नेह -डोर
 
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सुलझा भी दो।
 
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प्राण अटके
 
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तुम न मिल सके
 
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हम भटके।
 
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सभी जीवन-द्वार
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मिला न प्यार।
  
 
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23:11, 5 मई 2019 के समय का अवतरण

64
जग सुन्दर
सुन्दर मन -ताल
भावों की छाया ।
65
सूने हैं तट
आती नहीं आहट
नीर अधीर।
66
थकीं लहरें
बाँचे अनवरत
तीर की पीर।
67
नहाने आते
जब चाँद -सितारे
तट हर्षाते ।
68
नदियाँ सूखीं
उजड़े पनघट
गलियाँ मौन।
-0-7/2/2015
69
प्राण सींचती
सामगान -सी वाणी
सद्यस्नाता- सी।
70
नश्वर काया
तुम्हारी मोहमाया
बाँधे है मुझे।
71
आँसू तुम्हारे
भिगोएँ मेरा सीना
मैं बड़भागी।
72
रातों में जागूँ
तुम्हारे लिए ही मैं
दुआएँ माँगूँ ।
73
अंक में भरो
उलझी नेह -डोर
सुलझा भी दो।
74
प्राण अटके
तुम न मिल सके
हम भटके।
75
आँसू से धोए
सभी जीवन-द्वार
मिला न प्यार।