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Astrobhadauria रामेन्द्र सिंह भदौरिया का जन्म ९ नवम्बर १९५८ ई. को जिला आगरा के बाह तहसील में कोर्थ नामक ग्राम में हुआ था,इनकी माता का नाम श्रीमती बिटोला कुँअरि और पिता का श्री शिवराम सिंह था,इनके एक बडे भाई श्री सुरेन्द्र सिंह भदौरिया ने पहली बार कोर्थ गांव में अपने कुल का नाम उज्जल किया था और पढाई में सबसे आगे निकल कर बैंक मैनेजर की पोस्ट से चालू होकर एक बडे अधिकारी की जगह सम्भाली थी,इनके छोटे भाई श्री बिजेन्द्र सिंह जे.के. में अपनी सेवायें दे रहे है। श्री रामेन्द्र सिंह भदौरिया का प्रारम्भिक जीवन बहुत ही मुश्किलों से भरा रहा। पिताजी का कलकत्ता में नौकरी करना और माताजी के साथ इनका बचपन गांव में अकेले बीतना,बडे भाई का गांव से बाहर पढना,और खेती के साथ जानवरों की देखभाल और कितने ही घरेलू कार्य संभालने के बाद इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा मिडिल तक गांव के ही स्कूल में पूरी की। बाद में इनके बडे भाई की नौकरी लग जाने के बाद वे इन्हे जिला झांसी में बबीना नामक स्थान पर ले गये औ इनका दाखिला सेन्ट्रल स्कूल में करवा दिआ,इनको प्रारम्भिक अंग्रेजी का ज्ञान इनके बडे भाई के दोस्त श्री आर.मोहन ने दिया,मगर एक गांव का पढा हुआ व्यक्ति नवीं क्लास की सेन्ट्रल स्कूल की तैयारी नही कर पाया और अपने गांव के लिये चला आया।
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[http://www.astrobhadauria.in/ Astrobhadauria] रामेन्द्र सिंह भदौरिया का जन्म ९ नवम्बर १९५८ ई. को जिला [आगरा] के [बाह] तहसील में कोर्थ नामक ग्राम में हुआ था,इनकी माता का नाम श्रीमती बिटोला कुँअरि और पिता का श्री शिवराम सिंह था,इनके एक बडे भाई श्री सुरेन्द्र सिंह भदौरिया ने पहली बार कोर्थ गांव में अपने कुल का नाम उज्जल किया था और पढाई में सबसे आगे निकल कर बैंक मैनेजर की पोस्ट से चालू होकर एक बडे अधिकारी की जगह सम्भाली थी,इनके छोटे भाई श्री बिजेन्द्र सिंह जे.के. में अपनी सेवायें दे रहे है। श्री रामेन्द्र सिंह भदौरिया का प्रारम्भिक जीवन बहुत ही मुश्किलों से भरा रहा। पिताजी का कलकत्ता में नौकरी करना और माताजी के साथ इनका बचपन गांव में अकेले बीतना,बडे भाई का गांव से बाहर पढना,और खेती के साथ जानवरों की देखभाल और कितने ही घरेलू कार्य संभालने के बाद इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा मिडिल तक गांव के ही स्कूल में पूरी की। बाद में इनके बडे भाई की नौकरी लग जाने के बाद वे इन्हे जिला [झांसी] में [बबीना] नामक स्थान पर ले गये औ इनका दाखिला सेन्ट्रल स्कूल में करवा दिया,इनको प्रारम्भिक अंग्रेजी का ज्ञान इनके बडे भाई के दोस्त श्री आर.मोहन ने दिया,मगर एक गांव का पढा हुआ व्यक्ति नवीं क्लास की सेन्ट्रल स्कूल की तैयारी नही कर पाया और अपने गांव के लिये चला आया।
बाद में इन्होने अपनी दसवीं की परीक्षा प्राइवेट दी,तथा कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी इन्टर कालेज से इन्होने बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। बारहवीं तक की शिक्षा को दिलवाने में इनकी भाभीश्री श्रीमती पूर्णिमा सिंह का बहुत बदा हाथ रहा।
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बाद में इन्होने अपनी दसवीं की परीक्षा प्राइवेट दी,तथा कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी इन्टर कालेज से इन्होने बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। बारहवीं तक की शिक्षा को दिलवाने में इनकी भाभीश्री श्रीमती पूर्णिमा सिंह का बहुत बडा हाथ रहा।
 
आपका स्वभाव बचपन से ही हठीला था,जिस बात की हठ कर जाते हमेशा उसे पूरा करके ही मानते। इनकी माताजी का स्वभाव भी इन्ही की तरह से था,उन्होने भी अपनी औकात के आगे,धन को कभी महत्व नही दिया था। आपको माता-पिता का बिछोह सन २००० ई. के आखिर में हुआ।
 
आपका स्वभाव बचपन से ही हठीला था,जिस बात की हठ कर जाते हमेशा उसे पूरा करके ही मानते। इनकी माताजी का स्वभाव भी इन्ही की तरह से था,उन्होने भी अपनी औकात के आगे,धन को कभी महत्व नही दिया था। आपको माता-पिता का बिछोह सन २००० ई. के आखिर में हुआ।
इन्होने ज्योतिष के साथ कविताओं का भी संग्रह किया। सारावली के ऊपर इन्होने अपने शोध को प्रकाशित किया तो मानो ज्योतिष जगत में हलचल मच गयी,फ़िर इनकी राजनीति से जुडी कवितायें कादम्बरी,साप्ताहिक हिन्दुस्तान और सरिता मुक्ता आदि पत्रिकाओं में अपना स्थान बनाती रही। इन्होने कभी अपने नाम को प्रकाशित करने की कोशिश नही की,हमेशा अज्ञात की संज्ञा का प्रयोग करने के बाद प्रकाशित करते रहे। आजकल आप जयपुर जैसे धार्मिक शहर में संसार को ज्योतिष का ज्ञान दे रहे है।
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इन्होने ज्योतिष के साथ कविताओं का भी संग्रह किया। [सारावली] के ऊपर इन्होने अपने शोध को प्रकाशित किया तो मानो ज्योतिष जगत में हलचल मच गयी,फ़िर इनकी राजनीति से जुडी कवितायें कादम्बरी,साप्ताहिक हिन्दुस्तान और सरिता मुक्ता आदि पत्रिकाओं में अपना स्थान बनाती रही। इन्होने कभी अपने नाम को प्रकाशित करने की कोशिश नही की,हमेशा अज्ञात की संज्ञा का प्रयोग करने के बाद प्रकाशित करते रहे। आजकल आप [जयपुर] जैसे धार्मिक शहर में संसार को ज्योतिष का ज्ञान दे रहे है।

04:25, 23 अगस्त 2008 के समय का अवतरण

Astrobhadauria रामेन्द्र सिंह भदौरिया का जन्म ९ नवम्बर १९५८ ई. को जिला [आगरा] के [बाह] तहसील में कोर्थ नामक ग्राम में हुआ था,इनकी माता का नाम श्रीमती बिटोला कुँअरि और पिता का श्री शिवराम सिंह था,इनके एक बडे भाई श्री सुरेन्द्र सिंह भदौरिया ने पहली बार कोर्थ गांव में अपने कुल का नाम उज्जल किया था और पढाई में सबसे आगे निकल कर बैंक मैनेजर की पोस्ट से चालू होकर एक बडे अधिकारी की जगह सम्भाली थी,इनके छोटे भाई श्री बिजेन्द्र सिंह जे.के. में अपनी सेवायें दे रहे है। श्री रामेन्द्र सिंह भदौरिया का प्रारम्भिक जीवन बहुत ही मुश्किलों से भरा रहा। पिताजी का कलकत्ता में नौकरी करना और माताजी के साथ इनका बचपन गांव में अकेले बीतना,बडे भाई का गांव से बाहर पढना,और खेती के साथ जानवरों की देखभाल और कितने ही घरेलू कार्य संभालने के बाद इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा मिडिल तक गांव के ही स्कूल में पूरी की। बाद में इनके बडे भाई की नौकरी लग जाने के बाद वे इन्हे जिला [झांसी] में [बबीना] नामक स्थान पर ले गये औ इनका दाखिला सेन्ट्रल स्कूल में करवा दिया,इनको प्रारम्भिक अंग्रेजी का ज्ञान इनके बडे भाई के दोस्त श्री आर.मोहन ने दिया,मगर एक गांव का पढा हुआ व्यक्ति नवीं क्लास की सेन्ट्रल स्कूल की तैयारी नही कर पाया और अपने गांव के लिये चला आया। बाद में इन्होने अपनी दसवीं की परीक्षा प्राइवेट दी,तथा कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी इन्टर कालेज से इन्होने बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। बारहवीं तक की शिक्षा को दिलवाने में इनकी भाभीश्री श्रीमती पूर्णिमा सिंह का बहुत बडा हाथ रहा। आपका स्वभाव बचपन से ही हठीला था,जिस बात की हठ कर जाते हमेशा उसे पूरा करके ही मानते। इनकी माताजी का स्वभाव भी इन्ही की तरह से था,उन्होने भी अपनी औकात के आगे,धन को कभी महत्व नही दिया था। आपको माता-पिता का बिछोह सन २००० ई. के आखिर में हुआ। इन्होने ज्योतिष के साथ कविताओं का भी संग्रह किया। [सारावली] के ऊपर इन्होने अपने शोध को प्रकाशित किया तो मानो ज्योतिष जगत में हलचल मच गयी,फ़िर इनकी राजनीति से जुडी कवितायें कादम्बरी,साप्ताहिक हिन्दुस्तान और सरिता मुक्ता आदि पत्रिकाओं में अपना स्थान बनाती रही। इन्होने कभी अपने नाम को प्रकाशित करने की कोशिश नही की,हमेशा अज्ञात की संज्ञा का प्रयोग करने के बाद प्रकाशित करते रहे। आजकल आप [जयपुर] जैसे धार्मिक शहर में संसार को ज्योतिष का ज्ञान दे रहे है।