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"कैसी आग है यह / अरुणा राय" के अवतरणों में अंतर
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− | कि अब तो बस | + | कि अब तो बस |
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− | निर्धूम | + | निर्धूम |
− | जाने यह कैसी आग है | + | जाने यह कैसी आग है |
− | यह कौन जगता जा रहा है | + | यह कौन जगता जा रहा है |
− | मेरे अंतर में | + | मेरे अंतर में |
− | कैसी पुकार है यह | + | कैसी पुकार है यह |
मेरे अंतर को व्यथित करती ... | मेरे अंतर को व्यथित करती ... | ||
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22:50, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
ओह क्या है यह
मेरे पहलू में
यह कैसी आग
जलती रहती है हर बखत
जिसमें मेरा हृदय
तपता रहता है
वह अग्नि है
तो राख क्यों नहीं कर जाती
मेरा हृदय
ना स्वप्न है
ना जागरण है
कैसा व्यक्तित्वांतरण है यह
कि अपनी ही शक्ल
अब बेगानी लग रही है
कि अब तो बस
वही चेहरा है
अग्निशिखा में दिपता सा
निर्धूम
जाने यह कैसी आग है
यह कौन जगता जा रहा है
मेरे अंतर में
कैसी पुकार है यह
मेरे अंतर को व्यथित करती ...