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"आस फले / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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+ | जीवन है बगिया | ||
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10:47, 31 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
1
इक बार चले आओ
तुमसे लिपटूँगी
अब आस फले आओ
(11-2-19)
2
खुशबू बनकर रहना
मन के आँगन में
वासंती -सा बहना।
3
जब से तुम आए हो
जीवन है बगिया
माली -से भाए हो।