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"मत करो अलगाव / ओम नीरव" के अवतरणों में अंतर
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− | + | नायकों! हम बालकों से मत करो अलगाव! | |
− | + | याद हम आगत करेंगे विगत का सद्भाव! | |
− | + | हम शिराओं के रुधिर तुम- | |
− | + | रुधिर के संचार, | |
− | + | प्राण हम-तुम देश के यह- | |
− | + | देश अपना प्यार । | |
+ | प्यार से भर दें सर्जन का बूँद-बूँद तलाव! | ||
− | + | कुछ तपन से, कुछ जलन से | |
− | + | जगमगाती ज्योति, | |
− | फिर- | + | फिर वही तम-तोम में पथ- |
− | + | को दिखाती ज्योति । | |
+ | ज्योति की तुम वर्तिका, हम स्नेह सिंचित स्राव! | ||
− | + | जाएँगे , ले जाएँगे भारत | |
− | + | भँवर के पार, | |
− | + | चाहिए नन्हे पगों को | |
− | + | कुछ दिशा, कुछ प्यार । | |
+ | हम बने पतवार युग की, तुम हमारी नाव! | ||
− | + | वक्ष पर हमको सजा लो | |
− | + | हम महकते फूल, | |
− | + | फूल से लगने लगेंगे | |
− | + | पंथ के सब शूल । | |
+ | नेह से 'नीरव' भरें हम, मातृ-भू के घाव! | ||
+ | नायकों! हम बालकों से मत करो अलगाव! | ||
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10:36, 20 जून 2020 के समय का अवतरण
नायकों! हम बालकों से मत करो अलगाव!
याद हम आगत करेंगे विगत का सद्भाव!
हम शिराओं के रुधिर तुम-
रुधिर के संचार,
प्राण हम-तुम देश के यह-
देश अपना प्यार ।
प्यार से भर दें सर्जन का बूँद-बूँद तलाव!
कुछ तपन से, कुछ जलन से
जगमगाती ज्योति,
फिर वही तम-तोम में पथ-
को दिखाती ज्योति ।
ज्योति की तुम वर्तिका, हम स्नेह सिंचित स्राव!
जाएँगे , ले जाएँगे भारत
भँवर के पार,
चाहिए नन्हे पगों को
कुछ दिशा, कुछ प्यार ।
हम बने पतवार युग की, तुम हमारी नाव!
वक्ष पर हमको सजा लो
हम महकते फूल,
फूल से लगने लगेंगे
पंथ के सब शूल ।
नेह से 'नीरव' भरें हम, मातृ-भू के घाव!
नायकों! हम बालकों से मत करो अलगाव!