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"कलयुग आउ रामायण / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर

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की बतइयो भइया ई कइसन हो दुनियाँ?
 
की बतइयो भइया ई कइसन हो दुनियाँ?
आव रे मुनियाँ बजाव हरमुनियाँ।।
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आव रे मुनियाँ बजाव हरमुनियाँ
अप्पन मेहरारू के संदूक में रक्खे।
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अप्पन मेहरारू के संदूक में रक्खे
नउका भेराइटी के रोजे ऊचक्से।
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नउका भेराइटी के रोजे ऊचक्से
रोजे हिलाबऽ हे ओक्कर नथुनियाँ।। आव रे ....
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रोजे हिलाबऽ हे ओक्कर नथुनियाँ
जुअनका के साथ में बुढ़वो हे मातल।
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आव रे ....
पीके ठरां हो गेल तूँ बाकल।
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जुअनका के साथ में बुढ़वो हे मातल
बेटी जइसन के ठेकाबे केहुनियाँ।। आव रे ....
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पीके ठरां हो गेल तूँ बाकल
जने देखऽ ओन्ने खुल गेल हें कलाली।
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बेटी जइसन के ठेकाबे केहुनियाँ
बापे करऽ हे अब बेटी के दलाली।
+
आव रे ....
अभिओं तूँ चेत जइहें गे बहिनियाँ।। आव रे ...
+
जने देखऽ ओन्ने खुल गेल हें कलाली
केकरा कहिअइ हम अप्पन हो बउआ।
+
बापे करऽ हे अब बेटी के दलाली
सिधका के समझ ई सब कोय कउआ।
+
अभिओं तूँ चेत जइहें गे बहिनियाँ
निकल जाहे काम त हो जाहे निगुनियाँ।। आव रे ....
+
आव रे ...
जे लेतो रुपइया फेर घूर के न अइते।
+
केकरा कहिअइ हम अप्पन हो बउआ
माँगला पर लाल पियर अँखिया देखइतो।
+
सिधका के समझ ई सब कोय कउआ
खोजबा त बन जइतो मास के पुनियाँ।। आव रे ....
+
निकल जाहे काम त हो जाहे निगुनियाँ
साली आउ सरहज हो गेल अगुआनी।
+
आव रे ....
राम-किशन के फेंक देलक पछुआनी।
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जे लेतो रुपइया फेर घूर के न अइते
हे बँधल काम धेनु सबके बथनियाँ।। आव रे ....
+
माँगला पर लाल पियर अँखिया देखइतो
सुबह-शाह उठे जे जाहे शिवाला।
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खोजबा त बन जइतो मास के पुनियाँ
दिन में फेरे माला करे रात में घोटाला।
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आव रे ....
चाटऽ हे माया-बजार के चटनियाँ।। आव रे ....
+
साली आउ सरहज हो गेल अगुआनी
जेकरा पर देश करे उहे काम गंदा।
+
राम-किशन के फेंक देलक पछुआनी
गीता-रामायण के दाम भेला मंदा।
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हे बँधल काम धेनु सबके बथनियाँ
मर गेलो मानवता सब बन भेलो बनियाँ।। आव रे ....
+
आव रे ....
हे दिल के जे करिजा कहलाबऽ हे सुथ्थर।
+
सुबह-शाह उठे जे जाहे शिवाला
हमरा लग हे ई दुनियाँ इ। उथ्थर।
+
दिन में फेरे माला करे रात में घोटाला
ऐसन-बइसन केहम समझऽ ही धुनियाँ।। आव रे ....
+
चाटऽ हे माया-बजार के चटनियाँ
हाय-राम कइसन ई अयलइ जमाना।
+
आव रे ....
अपन बेटी-पुतहु के नचावे नचनियाँ।। आव रे .....
+
जेकरा पर देश करे उहे काम गंदा
 +
गीता-रामायण के दाम भेला मंदा
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मर गेलो मानवता सब बन भेलो बनियाँ
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आव रे ....
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हे दिल के जे करिजा कहलाबऽ हे सुथ्थर
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हमरा लग हे ई दुनियाँ इ उथ्थर
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ऐसन-बइसन केहम समझऽ ही धुनियाँ
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आव रे ....
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हाय-राम कइसन ई अयलइ जमाना
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अपन बेटी-पुतहु के नचावे नचनियाँ
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आव रे .....
  
 
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11:00, 14 मार्च 2019 के समय का अवतरण

की बतइयो भइया ई कइसन हो दुनियाँ?
आव रे मुनियाँ बजाव हरमुनियाँ
अप्पन मेहरारू के संदूक में रक्खे
नउका भेराइटी के रोजे ऊचक्से
रोजे हिलाबऽ हे ओक्कर नथुनियाँ
आव रे ....
जुअनका के साथ में बुढ़वो हे मातल
पीके ठरां हो गेल तूँ बाकल
बेटी जइसन के ठेकाबे केहुनियाँ
आव रे ....
जने देखऽ ओन्ने खुल गेल हें कलाली
बापे करऽ हे अब बेटी के दलाली
अभिओं तूँ चेत जइहें गे बहिनियाँ
आव रे ...
केकरा कहिअइ हम अप्पन हो बउआ
सिधका के समझ ई सब कोय कउआ
निकल जाहे काम त हो जाहे निगुनियाँ
आव रे ....
जे लेतो रुपइया फेर घूर के न अइते
माँगला पर लाल पियर अँखिया देखइतो
खोजबा त बन जइतो मास के पुनियाँ
आव रे ....
साली आउ सरहज हो गेल अगुआनी
राम-किशन के फेंक देलक पछुआनी
हे बँधल काम धेनु सबके बथनियाँ
आव रे ....
सुबह-शाह उठे जे जाहे शिवाला
दिन में फेरे माला करे रात में घोटाला
चाटऽ हे माया-बजार के चटनियाँ
आव रे ....
जेकरा पर देश करे उहे काम गंदा
गीता-रामायण के दाम भेला मंदा
मर गेलो मानवता सब बन भेलो बनियाँ
आव रे ....
हे दिल के जे करिजा कहलाबऽ हे सुथ्थर
हमरा लग हे ई दुनियाँ इ उथ्थर
ऐसन-बइसन केहम समझऽ ही धुनियाँ
आव रे ....
हाय-राम कइसन ई अयलइ जमाना
अपन बेटी-पुतहु के नचावे नचनियाँ
आव रे .....