"शिक्षा गीत / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी | |रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी | ||
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी |
}} | }} | ||
+ | {{KKCatBhojpuriRachna}} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | हमरो इस्कुलवा भेजी देहीं मइया | + | हमरो इस्कुलवा भेजी देहीं मइया गे |
− | हमरो जनम-दिन पर गइहें बधइया | + | हमरो जनम-दिन पर गइहें बधइया गे |
− | अब बेटा-बेटी में | + | अब बेटा-बेटी में नञ् फरक हइ मइया |
− | + | नञ् होतउ तोइरो बेड़ा गरक मइया | |
− | बाबूजी से कही हें बनथिन कसइया | + | बाबूजी से कही हें बनथिन कसइया गे |
− | बेटा यदि सूरज हउ त चंदा हम | + | हमरो .... |
− | बेटा यदि जमुना हउ त गंगा हम | + | बेटा यदि सूरज हउ त चंदा हम बनबउ |
− | करी देवइ पापी-पाप के सफइया | + | बेटा यदि जमुना हउ त गंगा हम बनबउ |
− | पढ़-लिख करके हम तो होशियार | + | करी देवइ पापी-पाप के सफइया गे |
− | हर तरह के गुण हम तो अख्तियार | + | हमरो .... |
− | केकरो से पाछु न रहबइ हम दईया | + | पढ़-लिख करके हम तो होशियार बनबउ |
− | कल्पना चावला जइसन बनके | + | हर तरह के गुण हम तो अख्तियार करबउ |
− | लक्ष्मीबाई जइसन हम तन के | + | केकरो से पाछु न रहबइ हम दईया गे |
− | होवे | + | हमरो .... |
+ | कल्पना चावला जइसन बनके देखइबउ | ||
+ | लक्ष्मीबाई जइसन हम तन के देखइबउ | ||
+ | होवे नञ् देबउ हम तोर जग हँसइया गे | ||
+ | हमरो .... | ||
इहाँ अनपढ़ रहके हम कउन काम करबइ | इहाँ अनपढ़ रहके हम कउन काम करबइ | ||
− | दुओ कुल के नाम तब तो बदनाम | + | दुओ कुल के नाम तब तो बदनाम करबइ |
− | हमरा | + | हमरा दीहें जनम भर के सजइया गे |
− | तोर आँख के पुतरिया बन जइबउ | + | हमरो .... |
− | तोहर साँझ दुपहरिया बन | + | तोर आँख के पुतरिया बन जइबउ मइया |
− | कैसूँ करये कर दीहें पढ़ के उपइया | + | तोहर साँझ दुपहरिया बन जइबउ मइया .... |
+ | कैसूँ करये कर दीहें पढ़ के उपइया गे | ||
+ | हमरो .... | ||
</poem> | </poem> |
11:35, 14 मार्च 2019 के समय का अवतरण
हमरो इस्कुलवा भेजी देहीं मइया गे
हमरो जनम-दिन पर गइहें बधइया गे
अब बेटा-बेटी में नञ् फरक हइ मइया
नञ् होतउ तोइरो बेड़ा गरक मइया
बाबूजी से कही हें बनथिन कसइया गे
हमरो ....
बेटा यदि सूरज हउ त चंदा हम बनबउ
बेटा यदि जमुना हउ त गंगा हम बनबउ
करी देवइ पापी-पाप के सफइया गे
हमरो ....
पढ़-लिख करके हम तो होशियार बनबउ
हर तरह के गुण हम तो अख्तियार करबउ
केकरो से पाछु न रहबइ हम दईया गे
हमरो ....
कल्पना चावला जइसन बनके देखइबउ
लक्ष्मीबाई जइसन हम तन के देखइबउ
होवे नञ् देबउ हम तोर जग हँसइया गे
हमरो ....
इहाँ अनपढ़ रहके हम कउन काम करबइ
दुओ कुल के नाम तब तो बदनाम करबइ
हमरा दीहें जनम भर के सजइया गे
हमरो ....
तोर आँख के पुतरिया बन जइबउ मइया
तोहर साँझ दुपहरिया बन जइबउ मइया ....
कैसूँ करये कर दीहें पढ़ के उपइया गे
हमरो ....