भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ग़ज़ल / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 12: पंक्ति 12:
 
केकरो ले ई दुनियाँ नञ् छोड़े के चाही
 
केकरो ले ई दुनियाँ नञ् छोड़े के चाही
 
जीये ले ई दुनियाँ में सिरिफ शबाब नञ् हे
 
जीये ले ई दुनियाँ में सिरिफ शबाब नञ् हे
पियेवाला ....
+
पियेवाला ...
 
अउ भी तो ढेर रिश्ता हे जीये के खातिर
 
अउ भी तो ढेर रिश्ता हे जीये के खातिर
 
हरेक बात में देबे के इहाँ जबाव नञ् हे
 
हरेक बात में देबे के इहाँ जबाव नञ् हे
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
 
ढेर फूल हे चमन में खिलल खिलल इहाँ
 
ढेर फूल हे चमन में खिलल खिलल इहाँ
 
सुगंध के खातिर सिरिफ गुलाब नञ् हे
 
सुगंध के खातिर सिरिफ गुलाब नञ् हे
पियेवाला .....
+
पियेवाला ....
 
हर हाल में इहाँ तोरा जीये पड़तो जिनगी
 
हर हाल में इहाँ तोरा जीये पड़तो जिनगी
 
मूड़ी नवा के जीयेवाला आफताब नञ् हे
 
मूड़ी नवा के जीयेवाला आफताब नञ् हे

15:06, 13 मार्च 2019 के समय का अवतरण

दिल के दरद के दवा तो इहाँ शराब नञ् हे
पियेवाला के लगे नीक तो खराब नञ् हे
केकरो ले ई दुनियाँ नञ् छोड़े के चाही
जीये ले ई दुनियाँ में सिरिफ शबाब नञ् हे
पियेवाला ...
अउ भी तो ढेर रिश्ता हे जीये के खातिर
हरेक बात में देबे के इहाँ जबाव नञ् हे
पियेवाला ....
ढेर फूल हे चमन में खिलल खिलल इहाँ
सुगंध के खातिर सिरिफ गुलाब नञ् हे
पियेवाला ....
हर हाल में इहाँ तोरा जीये पड़तो जिनगी
मूड़ी नवा के जीयेवाला आफताब नञ् हे
पियेवाला ....
हे बेकार के ई जिनगी रफ्तार के बिना
हो सके जे नञ् पूरा ऊ कोय ख्वाब नञ् हे
पियेवाला ....
रुक सकऽ हऽ कभिओ नञ् तूँ मंजिल के पहिले
जेकर जवाब मिल सकऽ हे ऊ लाजबाब नञ् हे
पियेवाला ....