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"कचकै करेजोॅ चितचोर / ब्रह्मदेव कुमार" के अवतरणों में अंतर

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मुख से ना फूटै बोल, दिलोॅ के दरद
 
मुख से ना फूटै बोल, दिलोॅ के दरद
 
हमरे बाबू जी।
 
हमरे बाबू जी।
ढर-ढर आँखी ढरकै लोर, हमरे बाबू जी।।
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ढर-ढर आँखी ढरकै लोर, हमरे बाबू जी।
  
 
बचपन गमैलियै बाबू जी, गुड़वा खेलैलियै
 
बचपन गमैलियै बाबू जी, गुड़वा खेलैलियै
 
गुड़िया सजैलियै।
 
गुड़िया सजैलियै।
गेलियै नै इस्कूलबा के ओर, हमरे बाबू जी।।
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गेलियै नै इस्कूलबा के ओर, हमरे बाबू जी।
  
 
छोटहिं उमरिया में, धरली डगर ससुररिया।
 
छोटहिं उमरिया में, धरली डगर ससुररिया।
पढ़भोॅ-लिखबोॅ सपना भेलै मोर, हमरे बाबू जी।।
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पढ़भोॅ-लिखबोॅ सपना भेलै मोर, हमरे बाबू जी।
  
 
पिया परदेशी बाबू जी, लिखी भेजै छै पतिया
 
पिया परदेशी बाबू जी, लिखी भेजै छै पतिया
 
मोर बतिया।
 
मोर बतिया।
पाती देखी छाती में उठै हिलोर, हमरे बाबू जी।।
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पाती देखी छाती में उठै हिलोर, हमरे बाबू जी।
 
केकरा सुनैबै बाबू  जी, दिल  के जे बतिया
 
केकरा सुनैबै बाबू  जी, दिल  के जे बतिया
 
हाय सुरतिया।
 
हाय सुरतिया।
कचकै  करेजोॅ चितचोर,  हमरे  बाबू जी।।
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कचकै  करेजोॅ चितचोर,  हमरे  बाबू जी।
  
 
आबेॅ हम्हूँ पढ़बै बाबू जी, लिखै लेॅ जे सीखबै
 
आबेॅ हम्हूँ पढ़बै बाबू जी, लिखै लेॅ जे सीखबै
 
पतिया लिखबै।
 
पतिया लिखबै।
जिनगी में होतै ज्ञान इंजोर, हमरे बाबू जी।।
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जिनगी में होतै ज्ञान इंजोर, हमरे बाबू जी।
 
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23:07, 2 मई 2019 के समय का अवतरण

मुख से ना फूटै बोल, दिलोॅ के दरद
हमरे बाबू जी।
ढर-ढर आँखी ढरकै लोर, हमरे बाबू जी।

बचपन गमैलियै बाबू जी, गुड़वा खेलैलियै
गुड़िया सजैलियै।
गेलियै नै इस्कूलबा के ओर, हमरे बाबू जी।

छोटहिं उमरिया में, धरली डगर ससुररिया।
पढ़भोॅ-लिखबोॅ सपना भेलै मोर, हमरे बाबू जी।

पिया परदेशी बाबू जी, लिखी भेजै छै पतिया
मोर बतिया।
पाती देखी छाती में उठै हिलोर, हमरे बाबू जी।
केकरा सुनैबै बाबू जी, दिल के जे बतिया
हाय सुरतिया।
कचकै करेजोॅ चितचोर, हमरे बाबू जी।

आबेॅ हम्हूँ पढ़बै बाबू जी, लिखै लेॅ जे सीखबै
पतिया लिखबै।
जिनगी में होतै ज्ञान इंजोर, हमरे बाबू जी।