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"कोॅन चूक भइलै / ब्रह्मदेव कुमार" के अवतरणों में अंतर
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कोॅन चूक भइलै हो रामा, बितलोॅ जनमियाँ हो रामा।  | कोॅन चूक भइलै हो रामा, बितलोॅ जनमियाँ हो रामा।  | ||
| − | आ होॅ रामा, अनपढ़ता के दुख मनोॅ में सालै छै रे   | + | आ होॅ रामा, अनपढ़ता के दुख मनोॅ में सालै छै रे की।  | 
कŸोॅ रे जतन सेॅ पईलाँ, मनुखोॅ के कोखिया हा रामा।  | कŸोॅ रे जतन सेॅ पईलाँ, मनुखोॅ के कोखिया हा रामा।  | ||
| − | आ होॅ रामा, सेहो रे जनम लागै बेरथ भइलै रे   | + | आ होॅ रामा, सेहो रे जनम लागै बेरथ भइलै रे की।  | 
नाहिं हम्में पढ़लां रे लिखलां, नाहिं हम्मेॅ ज्ञान रे पैलां।  | नाहिं हम्में पढ़लां रे लिखलां, नाहिं हम्मेॅ ज्ञान रे पैलां।  | ||
| − | आ हो रामा, अज्ञान के अन्हरिया में कलपै परान रे   | + | आ हो रामा, अज्ञान के अन्हरिया में कलपै परान रे की।  | 
सुनै छियै आबी रे गेलै, साक्षरता अभियनमां हो।  | सुनै छियै आबी रे गेलै, साक्षरता अभियनमां हो।  | ||
| − | आ हो रामा, अनपढ़ लोगोॅ केॅ जें पढ़ाबै छै रे   | + | आ हो रामा, अनपढ़ लोगोॅ केॅ जें पढ़ाबै छै रे की।  | 
तेजि देबै आबेॅ जे हम्मेॅ, लाजोॅ रे शरम हो रामा।  | तेजि देबै आबेॅ जे हम्मेॅ, लाजोॅ रे शरम हो रामा।  | ||
| − | आ हो रामा, साक्षरता-केन्द्र के धरबै ठिकान रे   | + | आ हो रामा, साक्षरता-केन्द्र के धरबै ठिकान रे की।  | 
चलूँ सखी, चलूँ गे बहिना, ज्ञान दीप के रोशनी में।  | चलूँ सखी, चलूँ गे बहिना, ज्ञान दीप के रोशनी में।  | ||
| − | आ हो रामा, ठोरोॅ सेॅ फूटतै आबेॅ मुस्कान रे   | + | आ हो रामा, ठोरोॅ सेॅ फूटतै आबेॅ मुस्कान रे की।  | 
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23:24, 2 मई 2019 के समय का अवतरण
कोॅन चूक भइलै हो रामा, बितलोॅ जनमियाँ हो रामा।
आ होॅ रामा, अनपढ़ता के दुख मनोॅ में सालै छै रे की।
कŸोॅ रे जतन सेॅ पईलाँ, मनुखोॅ के कोखिया हा रामा।
आ होॅ रामा, सेहो रे जनम लागै बेरथ भइलै रे की।
नाहिं हम्में पढ़लां रे लिखलां, नाहिं हम्मेॅ ज्ञान रे पैलां।
आ हो रामा, अज्ञान के अन्हरिया में कलपै परान रे की।
सुनै छियै आबी रे गेलै, साक्षरता अभियनमां हो।
आ हो रामा, अनपढ़ लोगोॅ केॅ जें पढ़ाबै छै रे की।
तेजि देबै आबेॅ जे हम्मेॅ, लाजोॅ रे शरम हो रामा।
आ हो रामा, साक्षरता-केन्द्र के धरबै ठिकान रे की।
चलूँ सखी, चलूँ गे बहिना, ज्ञान दीप के रोशनी में।
आ हो रामा, ठोरोॅ सेॅ फूटतै आबेॅ मुस्कान रे की।
	
	