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"संकल्प / संवर्त / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | संचालक उत्पन्न हुए | + | संचालक उत्पन्न हुए |
− | घर-घर में ! | + | घर-घर में! |
− | सीमाओं के प्रहरी | + | सीमाओं के प्रहरी |
− | बने अजेय हिमालय, | + | बने अजेय हिमालय, |
− | मानवता की निश्चय जय ! | + | मानवता की निश्चय जय! |
− | दीपोत्सव हो, | + | दीपोत्सव हो, |
− | दीपोत्सव हो ! | + | दीपोत्सव हो! |
− | ज्योति-प्रणव हो ! | + | ज्योति-प्रणव हो! |
− | हर बार | + | हर बार |
− | तमस्र युगों पर | + | तमस्र युगों पर |
− | प्रोज्ज्वल विद्युत आभा | + | प्रोज्ज्वल विद्युत आभा |
− | फूटेगी, | + | फूटेगी, |
− | फूटेगी ! | + | फूटेगी! |
− | शक्तिमत्व हो, | + | शक्तिमत्व हो, |
− | दीपाराधन हो ! | + | दीपाराधन हो! |
− | गर्विता अमा का | + | गर्विता अमा का |
− | कण-कण बिखरेगा, | + | कण-कण बिखरेगा, |
− | दीपान्विता धरा का | + | दीपान्विता धरा का |
− | आनन निखरेगा !< | + | आनन निखरेगा! |
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14:26, 2 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
शक्तिमत्व हो,
दीपाराधन हो!
मरणान्तक रावण की शर्तें
निविड़-तमिस्रा की पर्तें
टूटेंगी,
टूटेंगी!
कृत-संकल्पों के राम जगे
जन-जन के अन्तर में!
आग्नेय-अस्त्र
पुष्पक-मिग
संचालक उत्पन्न हुए
घर-घर में!
सीमाओं के प्रहरी
बने अजेय हिमालय,
मानवता की निश्चय जय!
दीपोत्सव हो,
दीपोत्सव हो!
ज्योति-प्रणव हो!
हर बार
तमस्र युगों पर
प्रोज्ज्वल विद्युत आभा
फूटेगी,
फूटेगी!
शक्तिमत्व हो,
दीपाराधन हो!
गर्विता अमा का
कण-कण बिखरेगा,
दीपान्विता धरा का
आनन निखरेगा!