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| − | स्वर्ण आभा-सा | + | स्वर्ण आभा-सा |
| − | सुवासित तन तुम्हारा देख | + | सुवासित तन तुम्हारा देख |
| − | अनदेखा करूँ, | + | अनदेखा करूँ, |
| − | छवि पर न मोहित हो | + | छवि पर न मोहित हो |
| − | तनिक भी मुसकराऊँ ! | + | तनिक भी मुसकराऊँ! |
| − | फूल जब मुरझा रहे | + | फूल जब मुरझा रहे |
| − | वसुधा बनी विधवा | + | वसुधा बनी विधवा |
| − | सुमुखि ! | + | सुमुखि! |
| − | फिर अर्थ क्या शृंगार का, | + | फिर अर्थ क्या शृंगार का, |
| − | पग-नूपुरों की गूँजती झंकार का ? | + | पग-नूपुरों की गूँजती झंकार का? |
| − | हर फूल खिलने दो ज़रा, | + | हर फूल खिलने दो ज़रा, |
| − | डालियों पर प्यार हिलने दो ज़रा !< | + | डालियों पर प्यार हिलने दो ज़रा! |
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14:49, 30 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
फूल जो मुरझा रहे
जग-वल्लरी पर
अधखिले
कारण उसी का खोजता हूँ!
हे प्राण!
मुझको माफ़ करना
यदि तुम्हारे गीत कुछ दिन
मैं न गाऊँ!
स्वर्ण आभा-सा
सुवासित तन तुम्हारा देख
अनदेखा करूँ,
छवि पर न मोहित हो
तनिक भी मुसकराऊँ!
फूल जब मुरझा रहे
वसुधा बनी विधवा
सुमुखि!
फिर अर्थ क्या शृंगार का,
पग-नूपुरों की गूँजती झंकार का?
हर फूल खिलने दो ज़रा,
डालियों पर प्यार हिलने दो ज़रा!
