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"शुभकामनाएँ / संतरण / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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| − | उठ | + | ::सत्ता ढहेगी ! |
| − | बुलन्दी से | + | मुक्त जनता |
| − | निडर बन | + | उठ |
| − | मातृ-भू की जय कहेगी ! | + | बुलन्दी से |
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| − | जानते हैं हम | + | जानते हैं हम |
| − | जानते हो तुम | + | जानते हो तुम |
| − | जगत की वस्तु सर्वोत्तम | + | जगत की वस्तु सर्वोत्तम |
| − | व्यक्ति की स्वाधीनता है | + | व्यक्ति की स्वाधीनता है |
| − | :व्यक्ति के हित में ! | + | :व्यक्ति के हित में ! |
| − | धरा पर | + | धरा पर |
| − | एक मानव भी | + | एक मानव भी |
| − | न वंचित हो | + | न वंचित हो |
| − | प्रथम अधिकार से | + | प्रथम अधिकार से |
| − | स्वाधीन जीवन से। | + | स्वाधीन जीवन से। |
| − | अतः | + | अतः |
| − | संघर्ष जो तुम कर रहे हो, | + | संघर्ष जो तुम कर रहे हो, |
| − | देश का बूढ़ी शिराओं में | + | देश का बूढ़ी शिराओं में |
| − | युवा बल भर रहे हो | + | युवा बल भर रहे हो |
| − | शक्ति उससे पा रहा मैं भी ! | + | शक्ति उससे पा रहा मैं भी ! |
| − | राष्ट्र की स्वाधीनता का गीत | + | राष्ट्र की स्वाधीनता का गीत |
| − | मिल कर गा रहा मैं भी !< | + | मिल कर गा रहा मैं भी ! |
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14:58, 30 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
जो लड़ रहे
साम्राज्यवादी शक्तियों से देश,
जिनकी वीर जनता ने
किया धारण शहीदी वेश
भेजता हूँ मैं उन्हें शुभकामनाएँ —
हो विजय !
भेजता विश्वास हूँ —
हे अभय !
अन्तिम विजय तुमको मिलेगी,
आततायी-दुर्ग की दृढ़ नींव
निश्चय ही हिलेगी,
स्वार्थमय
साम्राज्य-लिप्सा से सनी
सत्ता ढहेगी !
मुक्त जनता
उठ
बुलन्दी से
निडर बन
मातृ-भू की जय कहेगी !
जानते हैं हम
जानते हो तुम
जगत की वस्तु सर्वोत्तम
व्यक्ति की स्वाधीनता है
व्यक्ति के हित में !
धरा पर
एक मानव भी
न वंचित हो
प्रथम अधिकार से
स्वाधीन जीवन से।
अतः
संघर्ष जो तुम कर रहे हो,
देश का बूढ़ी शिराओं में
युवा बल भर रहे हो
शक्ति उससे पा रहा मैं भी !
राष्ट्र की स्वाधीनता का गीत
मिल कर गा रहा मैं भी !
