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+ | अँजुरी भर प्यार | ||
+ | जी लेते हम | ||
+ | पतझर ऋतु में | ||
+ | बनकर बहार। | ||
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+ | सिर्फ अपना | ||
+ | प्यार तो समर्पण | ||
+ | ढूँढे क्यों ख़ता | ||
+ | बन जा तू क़ाबिल | ||
+ | बेकार ना आज़मा। | ||
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+ | यूँ ना तड़पा | ||
+ | और चुप रहके | ||
+ | न पीड़ा बढ़ा | ||
+ | कह ग़म अपने | ||
+ | हर लूँ मैं अँधेरे। | ||
+ | 5 | ||
+ | हुआ बेरंग | ||
+ | जीवन बिन तेरे | ||
+ | टूटी है आस | ||
+ | पनघट पे बैठी | ||
+ | रही प्यासी ही प्यास। | ||
+ | 6 | ||
+ | इतनी चाह- | ||
+ | फूलें -फलें संबंध | ||
+ | सच्ची हो वफ़ा | ||
+ | आए नहीं दरार | ||
+ | पलता रहे प्यार। | ||
+ | 7 | ||
+ | तुम क्या मिले | ||
+ | बने शूल राहों के | ||
+ | फूलों के गुंचे | ||
+ | राहें हुईं आसान | ||
+ | सुख मेहरबान। | ||
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05:11, 29 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
1
तरसा मन
करूँ तुमसे बातें
रूठा क्यूँ रिश्ता
दहके दिन मेरे
जलती रहीं रातें।
2
दे देते यदि
अँजुरी भर प्यार
जी लेते हम
पतझर ऋतु में
बनकर बहार।
3
सिर्फ अपना
प्यार तो समर्पण
ढूँढे क्यों ख़ता
बन जा तू क़ाबिल
बेकार ना आज़मा।
4
यूँ ना तड़पा
और चुप रहके
न पीड़ा बढ़ा
कह ग़म अपने
हर लूँ मैं अँधेरे।
5
हुआ बेरंग
जीवन बिन तेरे
टूटी है आस
पनघट पे बैठी
रही प्यासी ही प्यास।
6
इतनी चाह-
फूलें -फलें संबंध
सच्ची हो वफ़ा
आए नहीं दरार
पलता रहे प्यार।
7
तुम क्या मिले
बने शूल राहों के
फूलों के गुंचे
राहें हुईं आसान
सुख मेहरबान।