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"हाथ लगे आज पहली बार / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

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हाथ लगे आज पहली बार
 
हाथ लगे आज पहली बार
 
 
तीन सर्कुलर, साइक्लोस्टाइलवाले
 
तीन सर्कुलर, साइक्लोस्टाइलवाले
 
 
UNA द्वारा प्रचारित
 
UNA द्वारा प्रचारित
 
 
पहली बार आज लगे हाथ
 
पहली बार आज लगे हाथ
 
 
अहसास हुआ पहली बार आज...
 
अहसास हुआ पहली बार आज...
 
 
गत वर्ष की प्रज्वलित अग्निशिखा
 
गत वर्ष की प्रज्वलित अग्निशिखा
 
 
जल रही है कहीं-न-कहीं, देश के किसी कोने में
 
जल रही है कहीं-न-कहीं, देश के किसी कोने में
 
 
सुलग रही है वो आँच किन्हीं दिलों के अन्दर...
 
सुलग रही है वो आँच किन्हीं दिलों के अन्दर...
 
 
'अन्डर ग्राउण्ड न्यूज़ एजेन्सी' यानि UNA
 
'अन्डर ग्राउण्ड न्यूज़ एजेन्सी' यानि UNA
 
 
फ़ंक्शन कर रही है कहीं न कहीं!
 
फ़ंक्शन कर रही है कहीं न कहीं!
 
 
नए महाप्रभुओं द्वारा लादी गई तानाशाही
 
नए महाप्रभुओं द्वारा लादी गई तानाशाही
 
 
ज़रूर ही पंक्चर होगी
 
ज़रूर ही पंक्चर होगी
 
  
 
तार-तार होगी ज़रूर ही
 
तार-तार होगी ज़रूर ही
 
 
जनवाद का सूरज डूब नहीं जाएगा
 
जनवाद का सूरज डूब नहीं जाएगा
 
 
गहन नहीं लगा रहेगा हमेशा अभिनव फ़ासिज़्म का...
 
गहन नहीं लगा रहेगा हमेशा अभिनव फ़ासिज़्म का...
 
 
अहसास हुआ पहली बार आज
 
अहसास हुआ पहली बार आज
 
 
छपरा जेल की इस गुफ़ा के अन्दर
 
छपरा जेल की इस गुफ़ा के अन्दर
 
 
ठीक डेढ़ बजे रात में
 
ठीक डेढ़ बजे रात में
 
  
 
(रचनाकाल : 1975)
 
(रचनाकाल : 1975)
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12:02, 18 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

हाथ लगे आज पहली बार
तीन सर्कुलर, साइक्लोस्टाइलवाले
UNA द्वारा प्रचारित
पहली बार आज लगे हाथ
अहसास हुआ पहली बार आज...
गत वर्ष की प्रज्वलित अग्निशिखा
जल रही है कहीं-न-कहीं, देश के किसी कोने में
सुलग रही है वो आँच किन्हीं दिलों के अन्दर...
'अन्डर ग्राउण्ड न्यूज़ एजेन्सी' यानि UNA
फ़ंक्शन कर रही है कहीं न कहीं!
नए महाप्रभुओं द्वारा लादी गई तानाशाही
ज़रूर ही पंक्चर होगी

तार-तार होगी ज़रूर ही
जनवाद का सूरज डूब नहीं जाएगा
गहन नहीं लगा रहेगा हमेशा अभिनव फ़ासिज़्म का...
अहसास हुआ पहली बार आज
छपरा जेल की इस गुफ़ा के अन्दर
ठीक डेढ़ बजे रात में

(रचनाकाल : 1975)