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"आप अपना... / ऋतु पल्लवी" के अवतरणों में अंतर

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आज मैंने आप अपना आईने में रख दिया है
 
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और आईने की सतह को  
 
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पुरज़ोर स्वयं से ढक दिया है।
 
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कुछ पुराने हर्फ-- दो-चार पन्ने  
 
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जिन्हें मैंने रात की कालिख बुझाकर   
 
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कभी लिखा था नयी आतिश जलाकर  
 
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आज उनकी आतिशी से रात को रौशन किया है।
 
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आलों और दराजों से सब फाँसे खींची
 
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यादों के तहखाने की साँसें भींची  
 
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दरवाज़े से दस्तक पोंछी
 
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दीवारों के सायों को भी साफ़ किया है।
 
दीवारों के सायों को भी साफ़ किया है।
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19:31, 24 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

आज मैंने आप अपना आईने में रख दिया है
और आईने की सतह को
पुरज़ोर स्वयं से ढक दिया है।

कुछ पुराने हर्फ-- दो-चार पन्ने
जिन्हें मैंने रात की कालिख बुझाकर
कभी लिखा था नयी आतिश जलाकर
आज उनकी आतिशी से रात को रौशन किया है।

आलों और दराजों से सब फाँसे खींची
यादों के तहखाने की साँसें भींची
दरवाज़े से दस्तक पोंछी
दीवारों के सायों को भी साफ़ किया है।