भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भाईचारा / इंगेबोर्ग बाख़मान्न / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंगेबोर्ग बाख़मान्न |अनुवादक=अन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
<poem> | <poem> | ||
हमारा हर काम, हर चीज़ चोट पहुँचाती है एक-दूसरे को | हमारा हर काम, हर चीज़ चोट पहुँचाती है एक-दूसरे को | ||
− | और हम में से किसी ने भी दूसरे को माफ नहीं किया | + | और हम में से किसी ने भी दूसरे को माफ नहीं किया |
तुम्हारी ही तरह दुखदायी और उत्पीड़क हूँ | तुम्हारी ही तरह दुखदायी और उत्पीड़क हूँ | ||
− | + | तुम्हारे ही आस-पास रहती हूँ। | |
हर छुअन बढ़ाती है | हर छुअन बढ़ाती है |
23:10, 29 मार्च 2020 के समय का अवतरण
हमारा हर काम, हर चीज़ चोट पहुँचाती है एक-दूसरे को
और हम में से किसी ने भी दूसरे को माफ नहीं किया
तुम्हारी ही तरह दुखदायी और उत्पीड़क हूँ
तुम्हारे ही आस-पास रहती हूँ।
हर छुअन बढ़ाती है
हमारी आध्यात्मिक ताज़गी को,
उसकी बढ़ती उम्र को महसूस करते हैं हम
शीतलतम शान्ति में ।
मूल जर्मन से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल जर्मन में पढ़िए
Ingeborg Bachmann
Bruderschaft
Alles ist Wundenschlagen,
und keiner hat keinem verziehn.
Verletzt wie du und verletzend,
lebte ich auf dich hin.
Die reine, die Geistesberührung,
um jede Berührung vermehrt,
wir erfahren sie alternd,
ins kälteste Schweigen gekehrt.