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कुछ न कहो तुम / केदारनाथ अग्रवाल
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21:16, 27 अप्रैल 2020
दुख की मार सहे;
हाड़
फोड़कर
फोड़ कर
निकले आँसू
टप टप बहुत बहे ।
अनिल जनविजय
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