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जगतरूपी केही क्षणको पारी | जगतरूपी केही क्षणको पारी |
16:46, 3 मई 2020 के समय का अवतरण
कहाँ खोजूँ कहाँ साईराम
कहाँ गयौ मेरो राम !
जगतरूपी केही क्षणको पारी
सुखदुःखको एक रात काटी जानु छ भोलि अन्तै कता
के हुन्छ यो धन, के छ र नाम
कहाँ गयौ मेरो नाम !
अग्निकुण्ड यो रागद्वेषको
जीवन सपना एक निमेषको
खरानी हुन्छ फेरि खरानी
के हुन्छ सलाम, के छ इनाम
कहाँ छ मेरो नाम !