भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सारा दिन अरूलाई बाँडेँ / ईश्वरवल्लभ" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) छो (Sirjanbindu ने सारा दिन अरुलाई बाँडें / गोपाल योञ्जन पृष्ठ सारा दिन अरूलाई बाँडेँ / ईश्वरवल्लभ पर स्थ...) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=ईश्वरवल्लभ |
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | सारा दिन अरूलाई बाँडेँ, शायद ती रात मेरा | |
− | सारा दिन अरूलाई | + | मेरा सुखहरू अरूको, शायद यी आँसु मेरा |
− | मेरा सुखहरू अरूको, शायद यी | + | |
बिर्सेर कहिलेकाहीँ दुई चार चोटी हाँसेँ | बिर्सेर कहिलेकाहीँ दुई चार चोटी हाँसेँ | ||
काँढाहरूलाई नाघी फूललाई म्वाई खाएँ | काँढाहरूलाई नाघी फूललाई म्वाई खाएँ | ||
− | शायद ती गल्ती मेरा शायद ती काँढा मेरा | + | शायद ती गल्ती मेरा, शायद ती काँढा मेरा |
− | मेरा सुखहरू अरूको, शायद यी | + | मेरा सुखहरू अरूको, शायद यी आँसु मेरा |
फूलको सुगन्ध पाउँदा कहीँ सुखको सास फेरेँ | फूलको सुगन्ध पाउँदा कहीँ सुखको सास फेरेँ | ||
डुबिरहेको बेला पराल समाई हेरेँ | डुबिरहेको बेला पराल समाई हेरेँ | ||
− | शायद किनारा अरूको | + | शायद किनारा अरूको गहराइ शायद मेरा |
− | मेरा सुखहरू | + | मेरा सुखहरू अरूको, शायद यी आँसु मेरा |
</poem> | </poem> |
12:16, 8 मई 2020 के समय का अवतरण
सारा दिन अरूलाई बाँडेँ, शायद ती रात मेरा
मेरा सुखहरू अरूको, शायद यी आँसु मेरा
बिर्सेर कहिलेकाहीँ दुई चार चोटी हाँसेँ
काँढाहरूलाई नाघी फूललाई म्वाई खाएँ
शायद ती गल्ती मेरा, शायद ती काँढा मेरा
मेरा सुखहरू अरूको, शायद यी आँसु मेरा
फूलको सुगन्ध पाउँदा कहीँ सुखको सास फेरेँ
डुबिरहेको बेला पराल समाई हेरेँ
शायद किनारा अरूको गहराइ शायद मेरा
मेरा सुखहरू अरूको, शायद यी आँसु मेरा