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"सागरभरि छाती चिरी / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा" के अवतरणों में अंतर
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कानबाट हृदयमा आज गुँड लाएँ | कानबाट हृदयमा आज गुँड लाएँ | ||
07:28, 9 मई 2020 के समय का अवतरण
सागरभरि छाती चिरी पहाडबाट आएँ
तीन तारे सारङ्गी लिई क्षण भर गीत गाएँ
लहरसँग मितेरी लाई मैले छन्द पाएँ
कानबाट हृदयमा आज गुँड लाएँ
अघिको म तुना गाउँछु आजको म बाला
पछिको म खबर दिन्छु आँखा बल्दो ज्वाला
सबतिर रहने जो मिठो लाई लाई
तारभित्र सुत्नेलाई ब्यूँझाई गाई गाई
आँगन आँगन डुलीडुली सानो रङ्गी चरी
मोति जस्तो चामल मुठी माग्न भरी भरी
शिशु बैँसै बृद्ध भन्छन मेरो सरल गाना
मुठ्ठी मुठ्ठी भरी प्यारा आँशु जस्तै दाना